महाराष्ट्र में आगामी नगर निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में उपमुख्यमंत्री और शिवसेना (शिंदे गुट) प्रमुख एकनाथ शिंदे ने रविवार को पालघर जिले में पार्टी पदाधिकारियों की बैठक ली और जनसेवा को सर्वोपरि रखने का संदेश दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि कोई भी नेता या कार्यकर्ता अपने पद का रौब न दिखाए, बल्कि जनता के सेवक की तरह व्यवहार करे। शिंदे ने निर्देश दिए कि सभी कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर सक्रिय हों, लोगों की शिकायतें गंभीरता से सुनें और उनका तत्काल समाधान करें।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी की असली ताकत जनता का भरोसा है, और उसे बनाए रखने के लिए हर नेता को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से काम करना होगा। शिंदे के अनुसार, जनसेवा के जरिए ही पार्टी को मजबूती मिलेगी और यही निकाय चुनाव में जीत की कुंजी होगी।
मैं भी सिर्फ एक कार्यकर्ता हूं
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एकनाथ शिंदे ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी में कई पदों पर काम किया और मुख्यमंत्री भी रहे, लेकिन वे आज भी खुद को एक आम कार्यकर्ता मानते हैं। उन्होंने कहा, पद चाहे जो हो, जनता के बीच एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह जाइए। अगर आप सच्चे मन से कार्यकर्ता का जीवन जिएंगे, तो किसी भी चुनौती से घबराने की जरूरत नहीं होगी।
शिंदे ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल की एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे उन्हें आम लोगों और यहां तक कि अपनी बहन से भी बुनियादी समस्याओं जैसे टूटा हुआ शौचालय या पानी की परेशानी को लेकर फोन आते थे। उन्होंने कहा कि तत्काल संबंधित विधायक या पार्षद को निर्देश देकर समस्याओं का समाधान कराया। इससे उन्होंने कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश की कि जनता की समस्याएं सुनना और समय पर हल करना ही असली नेतृत्व है।
स्थानीय युवाओं को मिलेगा रोजगार
शिंदे ने वधावन पोर्ट जैसी प्रमुख परियोजनाओं के जरिए स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का भी आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन पर फोकस कर रही है। साथ ही, उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आगामी निकाय चुनाव में जुटने का आह्वान किया और कहा कि जनता के बीच सक्रिय रहना ही चुनावी सफलता की सबसे बड़ी रणनीति है।
शिंदे ने कहा, जनता से जुड़ाव और निष्ठा ही पार्टी को मजबूती देगी। बाकी सब अपने आप होता चला जाएगा। उनके इस बयान को संगठनात्मक अनुशासन और जनसंवाद पर फोकस करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।