नरिंदर सिंह कपानी का नाम जब भी आधुनिक विज्ञान और नवाचार की चर्चा होती है, तो अत्यंत सम्मान और गर्व के साथ लिया जाता है। वे न केवल 'फाइबर ऑप्टिक्स' के क्षेत्र में अग्रणी वैज्ञानिक थे, बल्कि एक सफल उद्यमी, शिक्षाविद, कला प्रेमी और परोपकारी व्यक्ति भी थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा और दूरदर्शिता से न केवल विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति लाई, बल्कि भारतीय विरासत और संस्कृति को भी वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। आइए उनके जीवन, कार्यों और योगदान पर एक गहन दृष्टि डालते हैं।
प्रारंभिक जीवन: पंजाब से लंदन तक का सफर
नरिंदर सिंह कपानी का जन्म 31 अक्टूबर 1926 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। वे एक सिख खत्री परिवार से थे, जो गुरु अमर दास के पुत्र गुरु मोहरी के वंशज माने जाते हैं। उनका पालन-पोषण एक समृद्ध, शिक्षित और धार्मिक परिवेश में हुआ। उन्होंने देहरादून से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और आगरा विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। प्रारंभ में वे भारतीय आयुध निर्माणी सेवा (IOFS) के अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। लेकिन विज्ञान के प्रति उनकी गहरी रूचि ने उन्हें 1952 में उच्च शिक्षा के लिए इंपीरियल कॉलेज लंदन भेज दिया।
वैज्ञानिक खोज: फाइबर ऑप्टिक्स का आरंभ
लंदन के इंपीरियल कॉलेज में उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक हेरोल्ड हॉपकिंस के साथ मिलकर फाइबर के माध्यम से छवि ट्रांसमिशन पर काम शुरू किया। 1953 में उन्होंने पहली बार एक बंडल ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिए स्पष्ट छवि ट्रांसमिशन हासिल किया — यह घटना फाइबर ऑप्टिक्स के युग की शुरुआत थी। कपानी का यह कार्य उस समय के लिए क्रांतिकारी था, क्योंकि इससे पहले फाइबर के माध्यम से छवियों का ट्रांसमिशन असंभव माना जाता था। उन्होंने 1960 में 'साइंटिफिक अमेरिकन' में प्रकाशित अपने लेख में पहली बार 'फाइबर ऑप्टिक्स' शब्द का प्रयोग किया, जिसे बाद में पूरी दुनिया ने अपनाया। उन्होंने इस क्षेत्र में कई पुस्तकें और शोधपत्र लिखे और 120 से अधिक पेटेंट प्राप्त किए।
उद्योग और नवाचार में अग्रणी
एक सफल वैज्ञानिक होने के साथ-साथ कपानी एक कुशल उद्यमी भी थे। उन्होंने 1960 में 'ऑप्टिक्स टेक्नोलॉजी इंक.' की स्थापना की, जो ऑप्टिकल उपकरणों के निर्माण में अग्रणी कंपनी बनी। उन्होंने इसके बाद 'कैपट्रॉन इंक.' और 'K2 ऑप्ट्रॉनिक्स' जैसी कंपनियाँ स्थापित कीं, जो तकनीकी नवाचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती रहीं। उनकी कंपनियों ने ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स, लेज़र टेक्नोलॉजी, बायोमेडिकल उपकरणों, सौर ऊर्जा और प्रदूषण नियंत्रण जैसी तकनीकों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने विश्व की कई नामी कंपनियों और संस्थाओं के बोर्ड में कार्य किया और एक प्रमुख तकनीकी सलाहकार के रूप में भी योगदान दिया।
शिक्षा और अकादमिक योगदान
नरिंदर सिंह कपानी ने अपना जीवन केवल प्रयोगशालाओं और कॉर्पोरेट दुनिया तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने शैक्षिक क्षेत्र में भी गहरा योगदान दिया। वे कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले और सांता क्रूज़ में प्रोफेसर रहे। उन्होंने 'सेंटर फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट (CIED)' की स्थापना की, जहाँ वे नवाचार और उद्यमिता की शिक्षा को बढ़ावा देते रहे। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में विजिटिंग स्कॉलर और परामर्शदाता प्रोफेसर के रूप में भी योगदान दिया। वे अपने छात्रों को वैज्ञानिक सोच के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी सिखाते थे।
कला और संस्कृति के संरक्षक
डॉ. कपानी केवल एक वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि एक कला प्रेमी और कला संग्राहक भी थे। उन्होंने सिख कला और संस्कृति के संरक्षण और प्रचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 'सिख फाउंडेशन' के संस्थापक अध्यक्ष थे, जो सिख इतिहास, कला और साहित्य को बढ़ावा देने वाला एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। उन्होंने कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में सिख अध्ययन की कुर्सी स्थापित की और कई संग्रहालयों को सिख कला की दुर्लभ कृतियाँ दान कीं। 1999 में लंदन के 'विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूज़ियम' में आयोजित 'सिख साम्राज्यों की कला' प्रदर्शनी में उनकी कला संग्रह की प्रदर्शनी की गई, जिसने वैश्विक दर्शकों को पंजाब की संस्कृति से जोड़ा।
परोपकार में अग्रणी
कपानी का जीवन परोपकार की भावना से भी ओत-प्रोत था। उन्होंने शिक्षा, अनुसंधान और संस्कृति के क्षेत्र में कई उदार दान किए। उन्होंने एशियाई कला संग्रहालय, मेनलो स्कूल और UC सांता क्रूज़ जैसे प्रतिष्ठानों को उदार वित्तीय सहायता प्रदान की। उनकी धर्मार्थ गतिविधियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि विज्ञान और सेवा का संगम किस प्रकार समाज को समृद्ध बना सकता है।
सम्मान और पुरस्कार
- डॉ. कपानी को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
- 2021 में मरणोपरांत भारत के पद्म विभूषण से नवाजा गया — यह भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
- 2004 में प्रवासी भारतीय सम्मान और
- 1998 में एक्सीलेंस 2000 अवॉर्ड भी उन्हें प्राप्त हुआ।
- फॉर्च्यून मैगज़ीन ने उन्हें 20वीं सदी के सात 'गुमनाम नायकों' में शामिल किया और
- टाइम मैगज़ीन ने उन्हें सदी के शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची में स्थान दिया।
निजी जीवन और विरासत
1954 में उन्होंने सतिंदर कौर से विवाह किया, जिनका 2016 में निधन हो गया। वे स्वयं 4 दिसंबर 2020 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन उनका योगदान आज भी जीवंत है — हर बार जब हम फाइबर ऑप्टिक्स आधारित संचार का उपयोग करते हैं, हम उनके दृष्टिकोण और वैज्ञानिक योगदान को महसूस करते हैं।
नरिंदर सिंह कपानी केवल एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक युगद्रष्टा थे। उन्होंने फाइबर ऑप्टिक्स जैसे क्रांतिकारी तकनीक का मार्ग प्रशस्त किया, विज्ञान और उद्यमिता को जोड़ा, और साथ ही संस्कृति और परंपरा को भी संजोया। उनके जीवन से यह स्पष्ट होता है कि ज्ञान, सेवा और नवाचार का मेल एक व्यक्ति को न केवल महान बनाता है, बल्कि वह पीढ़ियों तक प्रेरणा देता है।