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PM मोदी ने घाना दौरे पर राष्ट्रपति जान महामा और उनकी पत्नी को दिए खास उपहार, तोहफों में दिखी भारतीय कला की चमक

PM मोदी ने घाना दौरे पर राष्ट्रपति जान महामा और उनकी पत्नी को दिए खास उपहार, तोहफों में दिखी भारतीय कला की चमक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण के समापन पर, गुरुवार को घाना की राजधानी अक्कारा से रवाना होने से पहले घाना के राष्ट्रपति जान महामा को एक हस्तनिर्मित बिदरी फूलदान और उनकी पत्नी लार्डिना महामा को चांदी का पर्स भेंट किया। 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घाना दौरे ने सिर्फ राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत नहीं किया, बल्कि भारत की कला और संस्कृति का गौरव भी दुनिया के सामने पेश किया। घाना की राजधानी अक्कारा में प्रधानमंत्री मोदी ने घाना के राष्ट्रपति जान महामा और उनकी पत्नी लार्डिना महामा को जो उपहार दिए, वे भारतीय शिल्पकला के जीवंत उदाहरण हैं।

मोदी ने राष्ट्रपति जान महामा को बिदरी कला से बना फूलदान भेंट किया, जबकि उनकी पत्नी को चांदी की महीन फिलिग्री कारीगरी वाला पर्स दिया गया। इसके अलावा घाना के उपराष्ट्रपति को कश्मीरी पश्मीना शाल, और वहां की संसद के स्पीकर को लघु हाथी अंबावारी भेंट स्वरूप दिए गए। इन उपहारों के जरिए प्रधानमंत्री ने भारत की समृद्ध हस्तकला, परंपरा और विरासत का संदेश दिया।

क्या है बिदरी फूलदान की खासियत?

कर्नाटक के बीदर से आने वाली बिदरी कला भारत की धातु शिल्प परंपरा का बेजोड़ उदाहरण है। जस्ता और तांबे की मिश्रधातु से तैयार ये फूलदान अपनी काले फिनिश और चांदी की महीन जड़ाई के कारण बेहद आकर्षक लगते हैं। फूलों और बेल-बूटों के डिजाइनों से सजे इन फूलदानों को सदियों पुरानी तकनीक से कुशल कारीगर हाथ से बनाते हैं। इनका सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व इसे एक संग्रहणीय धरोहर बनाता है, और यही कारण है कि इसे राष्ट्रपति जान महामा को भेंट किया गया।

कटक की फिलिग्री कला वाला चांदी का पर्स

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घाना की प्रथम महिला लार्डिना महामा को दिया गया चांदी का पर्स उड़ीसा के कटक की फिलिग्री कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। कटक की फिलिग्री में महीन चांदी के तारों से जटिल डिजाइन तैयार किए जाते हैं, जिनमें फूल, बेल और पारंपरिक मोटिफ्स प्रमुख हैं। आमतौर पर यह कला गहनों तक सीमित थी, लेकिन अब पर्स, डेकोरेटिव आइटम्स और अन्य फैशन उत्पादों में भी इसका प्रयोग होने लगा है। यह पर्स भारतीय शिल्प का आधुनिक और पारंपरिक मिश्रण दिखाता है।

पश्मीना शाल: कश्मीर की अनमोल विरासत

घाना के उपराष्ट्रपति को मोदी ने जो कश्मीरी पश्मीना शाल दिया, वह कश्मीर की सबसे मशहूर हस्तकला में गिना जाता है। चंगथांगी बकरी की ऊन से बनी यह शाल दुनिया की सबसे बेहतरीन ऊन में शामिल है। इसकी मुलायमियत, गर्माहट और हल्कापन इसे शाही और बेहद कीमती बनाते हैं। कश्मीरी कारीगर सदियों से इस शाल को हाथ से बुनकर तैयार करते हैं, और यह भारत की पहचान का प्रतीक बन चुका है।

बंगाल की शिल्पकला में बना लघु हाथी अंबावारी

स्पीकर को जो लघु हाथी अंबावारी भेंट किया गया, वह बंगाल की शिल्पकला का शानदार उदाहरण है। इसे पॉलिश किए गए सिंथेटिक हाथीदांत से तैयार किया गया है, जिसमें बारीक नक्काशी और पारंपरिक शिल्पकला का मिश्रण दिखता है। हाथी पर सवार अंबावारी की आकृति भारतीय सांस्कृतिक प्रतीक का हिस्सा रही है और इसे शक्ति, राजसी ठाट और परंपरा से जोड़ा जाता है।

भारतीय संस्कृति से प्रभावित घाना की संसद

प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के दौरान घाना की संसद में एक और दिलचस्प दृश्य दिखा, जब दो सांसद भारतीय परिधान में पहुंचे। एक पुरुष सांसद ने पारंपरिक बंदगला सूट और पगड़ी पहनी, जबकि एक महिला सांसद ने लाल रंग की साड़ी पहनकर भारतीय संस्कृति को अपनाया। यह दृश्य सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ और दोनों सांसदों ने भारतीय संस्कृति के प्रति घाना की आत्मीयता का संदेश दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी घाना यात्रा के दौरान घाना के पहले राष्ट्रपति डॉ. क्वामे एनक्रुमा को भी श्रद्धांजलि दी। एनक्रुमा मेमोरियल पार्क जाकर मोदी ने घाना के स्वतंत्रता आंदोलन और उसके ऐतिहासिक योगदान के प्रति भारत का सम्मान प्रकट किया। मोदी के ये तोहफे केवल भेंट नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध कला और संस्कृति को साझा करने का जरिया हैं। हर उपहार में भारतीय परंपरा, इतिहास और कारीगरी का गौरव छिपा था, जिसने घाना के लोगों को भारत से एक कदम और करीब लाकर खड़ा किया।

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