दिल्ली सरकार ने पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों पर लागू सख्त नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। सरकार का मानना है कि इन नियमों के व्यावहारिक पक्ष और वर्तमान हालात को देखते हुए बदलाव जरूरी हैं। इसके लिए परिवहन और पर्यावरण विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वे मौजूदा दिशानिर्देशों, कानूनी प्रावधानों और उनकी व्यवहारिकता का गहराई से विश्लेषण करें। साथ ही, जनता की राय और इन नियमों के पर्यावरणीय प्रभाव को भी ध्यान में रखा जा रहा है।
पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि सभी संबंधित विभागों की रिपोर्ट तैयार होने के बाद सरकार उसकी समीक्षा करेगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार अदालत के समक्ष तथ्यों पर आधारित और ठोस तर्कों के साथ पक्ष रखेगी।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना बड़ी बाधा
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में आदेश दिया था कि दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों का संचालन बंद किया जाए। इससे पहले, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 2014 में 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को सार्वजनिक स्थानों पर पार्क करने पर भी रोक लगाई थी। ये आदेश दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए जारी किए गए थे, लेकिन अब इन्हीं दिशा-निर्देशों को व्यवहारिक रूप से चुनौतीपूर्ण बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हाल ही में कहा था कि दिल्ली में भी वही नियम लागू होने चाहिए जो देश के अन्य हिस्सों में प्रभावी हैं। यह टिप्पणी उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के उस पत्र के बाद आई, जिसमें उन्होंने पुराने वाहनों पर सिर्फ दिल्ली में सख्ती को न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया था।
वायु गुणवत्ता आयोग को भी भेजा अनुरोध
इसके साथ ही, दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से भी आग्रह किया है कि पुराने वाहनों पर लगाए गए ईंधन प्रतिबंध को फिलहाल निलंबित किया जाए। मंत्री सिरसा ने आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखते हुए कहा कि यह प्रतिबंध व्यवहारिक नहीं है और इसके क्रियान्वयन में कई तकनीकी चुनौतियां हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
दिल्ली सरकार की इस पहल से पुराने वाहन मालिकों को संभावित राहत की उम्मीद बंधी है।