राजस्थान लोक सेवा आयोग में सुशील कुमार बिस्सू, डॉ. अशोक कलवार और हेमंत प्रियदर्शी ने पदभार संभाला। नई नियुक्तियों से आयोग में पारदर्शिता, भर्तियों में तेजी और कर्मचारियों में उत्साह बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
अजमेर: राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में बुधवार को नवनियुक्त सदस्य सुशील कुमार बिस्सू और डॉ. अशोक कुमार कलवार ने प्रातः पदभार ग्रहण किया। नए सदस्यों ने आयोग के अध्यक्ष सहित अन्य सदस्यों से मुलाकात की और अपनी जिम्मेदारियों को समझा। आयोग में नए सदस्यों की नियुक्ति से भर्तियों और साक्षात्कार की प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है। कर्मचारियों में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है।
नवनियुक्त सदस्यों की पृष्ठभूमि
राज्य सरकार ने मंगलवार रात राजस्थान लोक सेवा आयोग में तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की घोषणा की। इनमें पूर्व आईपीएस हेमंत प्रियदर्शी, डॉ. सुशील कुमार बिस्सू और डॉ. अशोक कुमार कलवार शामिल हैं। आयोग में पहले छह सदस्यों के पद खाली थे, जिनमें से अब तीन नए सदस्यों के जुड़ने के बाद कुल सात सदस्य सक्रिय हैं और तीन पद अभी भी रिक्त हैं।
कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह नियुक्ति की गई।
सुशील कुमार बिस्सू का जीवन
सुशील कुमार बिस्सू अजमेर के पंचशील नगर निवासी हैं। उनका जन्म 5 मार्च 1965 को हरियाणा के गोदी गांव में हुआ। उन्होंने शुरुआती शिक्षा अहमदपुर डारे वाला और हनुमानगढ़ के सरकारी स्कूल से पूरी की। इसके बाद 11वीं की पढ़ाई गंगानगर के दव स्कूल से की और उच्च शिक्षा के लिए खालसा कॉलेज गंगानगर गए। यहां से उन्होंने बीएससी और एमएससी की डिग्री हासिल की।
बिस्सू ने उदयपुर की सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की और शिक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल कीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि वाले बिस्सू का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी गहरा जुड़ाव रहा। उन्होंने 1992 में नोहर में व्याख्याता के रूप में कार्य शुरू किया और बाद में प्रशासनिक जिम्मेदारियों तक पहुंचे। वे अजमेर संभाग के सहायक निदेशक रहे और 31 मार्च 2025 को सेवानिवृत्त हुए।
डॉ. बिस्सू ने शिक्षा क्षेत्र में 33 वर्षों का अनुभव प्राप्त किया। उन्होंने 35 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। उनकी सादगी और पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें विशिष्ट बनाती है। अपने शिक्षण कार्यकाल के दौरान उन्होंने वेतन का एक हिस्सा वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण पर खर्च किया। उनकी नियुक्ति यह संदेश देती है कि सरकार योग्य और समाज के प्रति जिम्मेदार व्यक्तियों को महत्व दे रही है।
डॉ. अशोक कुमार कलवार और हेमंत प्रियदर्शी
डॉ. अशोक कुमार कलवार हेमेटो-ऑन्कोलॉजी में सीनियर कंसल्टेंट हैं। उन्होंने देश के कई बड़े अस्पतालों में सेवाएं दी हैं। उनके 30 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और 70 से अधिक राष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. कलवार मूल रूप से जोधपुर के निवासी हैं।
हेमंत प्रियदर्शी साल 1992 बैच के आईपीएस हैं। उन्होंने एम टेक मैकेनिकल और डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एमफिल किया है। वे डीजी पुलिस, साइबर क्राइम, एसीबी फॉरेंसिक साइंस लैब के डायरेक्टर रह चुके हैं और आईटीबीपी और सीआरपीएफ में भी अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं।
RPSC का विवादित इतिहास
राजस्थान लोक सेवा आयोग का इतिहास भ्रष्टाचार, अयोग्य नियुक्तियों और अनियमितताओं से भरा रहा है। खासकर 2021 में सब-इंस्पेक्टर भर्ती पेपर लीक मामले ने आयोग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए।
- रामू राम राइका: पूर्व सदस्य, जिन्हें अपने बेटे और बेटी को पेपर लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
- बाबूलाल कटारा: पूर्व सदस्य, जिन्होंने अपराध स्वीकार किया लेकिन इस्तीफा नहीं दिया।
- संगीता आर्या: वर्तमान सदस्य, जिनकी भूमिका पर हाई कोर्ट ने सवाल उठाए।
- मंजू शर्मा: पूर्व सदस्य, जिन्होंने 2 सितंबर 2025 को इस्तीफा दिया।
- संजय श्रोत्रिय: पूर्व अध्यक्ष, जिनके कार्यकाल में पेपर लीक और अनियमितताओं के आरोप लगे।
- जसवंत राठी: पूर्व सदस्य, जिनका नाम एसआई पेपर लीक मामले में आया।
- हबीब खान: पूर्व अध्यक्ष, जिन्हें 2014 में आरएएस और आरजेएस भर्ती में पेपर लीक आरोप में इस्तीफा देना पड़ा।
इन अयोग्य नियुक्तियों ने आयोग की साख को ठेस पहुंचाई और युवाओं में अविश्वास पैदा किया। हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि आयोग की विश्वसनीयता दांव पर है और कई सदस्यों की भूमिका संदिग्ध रही।
नवनियुक्त सदस्यों से उम्मीदें
नए सदस्यों की नियुक्ति से आयोग में नई ऊर्जा और पारदर्शिता की उम्मीद बढ़ी है। सुशील कुमार बिस्सू की शिक्षा और अनुभव, डॉ. अशोक कलवार का चिकित्सा और अनुसंधान क्षेत्र का योगदान और हेमंत प्रियदर्शी का प्रशासनिक अनुभव आयोग की कार्यप्रणाली को और मजबूत करेगा।