भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अक्टूबर 2025 की बैठक 1 अक्टूबर को सुबह 10 बजे होगी। इसमें ब्याज दरों और मुद्रास्फीति व विकास पर फैसला लिया जाएगा। अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि रेपो रेट यथास्थिति पर रहेगा, जिससे होम, कार और पर्सनल लोन की EMI में ज्यादा बदलाव नहीं आएगा।
RBI MPC MEET: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार, 1 अक्टूबर को सुबह 10 बजे मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अक्टूबर बैठक का फैसला जारी करेंगे। बैठक में ब्याज दरें, मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास पर चर्चा होगी। पिछली बैठक में रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रखा गया था। अधिकांश अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि RBI यथास्थिति बनाए रखेगा, लेकिन कुछ विशेषज्ञ 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की संभावना जता रहे हैं। इसके फैसले का असर होम, कार और पर्सनल लोन की EMI पर पड़ेगा, जबकि FD और बचत पर ब्याज दर में बदलाव हो सकता है।
पिछली बैठकों में रेपो रेट की स्थिति और बदलाव
आरबीआई की MPC बैठक हर दो महीने में होती है। इसमें मुख्य रूप से रेपो रेट और अन्य नीतिगत दरों का फैसला किया जाता है। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को उधार देता है। अगर रेपो रेट बढ़ता है तो बैंकों के लोन महंगे हो जाते हैं, जिससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई बढ़ जाती है। वहीं, रेपो रेट घटने पर लोन सस्ता हो सकता है, लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट और बचत खाते पर मिलने वाला ब्याज कम हो सकता है।
बैठक में MPC सदस्य महंगाई, आर्थिक विकास और बाजार की स्थिति का विश्लेषण करेंगे। पिछली अगस्त बैठक में रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया था। जून में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती और फरवरी–अप्रैल में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट में कुल 250 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी हुई थी।
अर्थशास्त्रियों की उम्मीदें
अधिकांश अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि RBI इस बैठक में रेपो रेट यथास्थिति यानी 5.5 प्रतिशत पर ही बनाए रखेगा। बिजनेस स्टैंडर्ड के सर्वे में भी यही अनुमान सामने आया है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि MPC नीतिगत दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकती है। एक बेसिस पॉइंट का मतलब होता है 0.01 प्रतिशत।
IDFC FIRST बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता का कहना है कि Q1FY26 में मजबूत विकास को देखते हुए RBI पहले टैक्स और GST कट के असर का आंकलन करेगी। इसके बाद ही दरों में कोई बड़ा बदलाव हो सकता है। त्योहारों के बाद उपभोक्ता मांग और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के परिणामों के आधार पर नीति तय होगी। यदि द्विपक्षीय टैरिफ में 25 प्रतिशत तक कटौती होती है, तो टर्मिनल दर 5.5 प्रतिशत तक रह सकती है। अन्यथा, इसे 5 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है।
होम, कार और पर्सनल लोन पर असर
यदि MPC दरों में कटौती करती है, तो होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई कम हो जाएगी। इसका मतलब है कि आम लोगों को लोन चुकाने में राहत मिलेगी। वहीं, रेपो रेट यथास्थिति बनी रहती है तो ईएमआई में बदलाव नहीं होगा।
इसके अलावा, फिक्स्ड डिपॉजिट और बचत खातों पर मिलने वाले ब्याज में भी प्रभाव देखने को मिलेगा। दरों में कटौती होने पर बैंकिंग बचत उत्पादों पर मिलने वाला ब्याज कम हो सकता है। वहीं, दरें बढ़ने पर फिक्स्ड डिपॉजिट की रिटर्न में सुधार होगा।
MPC बैठक में चर्चा के मुद्दे
बैठक में मुख्य रूप से महंगाई और आर्थिक विकास के साथ-साथ वित्तीय बाजार की स्थिति पर चर्चा होगी। RBI इन आंकड़ों का विश्लेषण करके निर्णय लेगी। विदेशी व्यापार, ऊर्जा कीमतों, वैश्विक आर्थिक संकेतों और अमेरिकी टैरिफ नीति को भी ध्यान में रखा जाएगा। MPC का उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और आर्थिक विकास को संतुलित बनाए रखना है।
पिछली बैठकों में RBI ने ब्याज दरों में कई बार बदलाव किया है। फरवरी–अप्रैल में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती और जून में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी। इससे पहले मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच दरें बढ़ाई गई थीं। इन बदलावों का मकसद महंगाई और विकास के बीच संतुलन बनाना था।