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RBI MPC Meeting: दिवाली से पहले रेपो रेट में बदलाव या सस्ता कर्ज मिलने की उम्मीद, 1 अक्टूबर को होगा फैसला

RBI MPC Meeting: दिवाली से पहले रेपो रेट में बदलाव या सस्ता कर्ज मिलने की उम्मीद, 1 अक्टूबर को होगा फैसला

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन की बैठक आज से शुरू हो गई है। 1 अक्टूबर को रेपो रेट और नीतिगत दरों पर निर्णय आएगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दिवाली से पहले दर स्थिर रहेगी और कर्ज सस्ता होने का इंतजार करना पड़ेगा।

RBI MPC Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन की बैठक आज से मुंबई में शुरू हो रही है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति का आकलन करना और रेपो रेट सहित अन्य पॉलिसी दरों पर निर्णय लेना है। बैठक 1 अक्टूबर तक चलेगी और आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार सुबह 10 बजे फैसले का ऐलान करेंगे।

MPC बैठक में क्या होगा विचार

बैठक में समिति के सदस्य महंगाई, आर्थिक विकास, मांग और बाजार की स्थिति पर विचार करेंगे। पिछली अगस्त की बैठक में रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रखा गया था। इससे पहले जून में 50 बेसिस पॉइंट और फरवरी–अप्रैल में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच कुल 250 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी हुई थी।

आरबीआई की MPC बैठक में आमतौर पर दो मुख्य मुद्दों पर ध्यान दिया जाता है। पहला, महंगाई का स्तर और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की प्रवृत्ति। दूसरा, आर्थिक विकास और GDP वृद्धि की दर। इन दोनों कारकों का आकलन करके रेपो रेट और अन्य नीतिगत दरों में बदलाव तय किया जाता है।

रेपो रेट कटौती की संभावना

आर्थिक विशेषज्ञों की राय के अनुसार, अक्टूबर में रेपो रेट में कटौती की संभावना कम है। ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, अक्टूबर–नवंबर में जीएसटी सुधार महंगाई में कमी ला सकता है। लेकिन मांग बढ़ने की वजह से MPC संभवतः रेपो रेट को स्थिर रख सकती है।

Business Standard के सर्वे (BS Poll) के अनुसार, बैंक और वित्तीय संस्थानों के दस अर्थशास्त्रियों में ज्यादातर MPC के अक्टूबर में दर को यथावत रखने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, कुछ जैसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इस बैठक में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की संभावना देखते हैं।

IDFC FIRST बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता का कहना है कि Q1FY26 में मजबूत विकास को देखते हुए, आरबीआई पहले टैक्स और जीएसटी कट के असर का आकलन करेगी। दिसंबर की नीति तक त्योहारों के बाद उपभोक्ता मांग और अमेरिकी टैरिफ बातचीत के परिणाम स्पष्ट होंगे। अगर व्यापार समझौता होता है और द्विपक्षीय टैरिफ 25% तक घटते हैं, तो टर्मिनल दर 5.5% तक रह सकती है, अन्यथा 5% तक।

महंगाई और GDP का अनुमान

विशेषज्ञों के अनुसार, FY26 के लिए आरबीआई महंगाई का अनुमान घटा सकती है। जीएसटी सुधार से महंगाई पर सकारात्मक असर पड़ेगा और CPI की हालिया प्रवृत्ति भी नरम दिख रही है। अगस्त 2025 में भारत की खुदरा महंगाई 2.07% रही, जबकि जुलाई में यह 1.61% थी। विशेषज्ञों के अनुसार, जीएसटी कट से इस वित्तीय वर्ष में महंगाई में लगभग 90 बेसिस पॉइंट की कमी आ सकती है।

GDP वृद्धि दर के मामले में ज्यादातर विशेषज्ञ FY26 के लिए 6.5% पर बनाए रखने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी टैरिफ के जोखिम के बावजूद चल रही बातचीत से समाधान निकल सकता है, इसलिए वृद्धि दर में बदलाव की जरूरत नहीं है।

दर कट की जरूरत

ब्रोकरेज हाउस Nuvama के अनुसार, आने वाली MPC बैठक में दर कट करना आसान नहीं होगा। कमजोर मांग, महंगे टैरिफ और सामान्य मुद्रास्फीति के बीच जीएसटी सुधार का असर देखना जरूरी है। MPC पहले यह देखना चाह सकती है कि टैक्स कट का असर मांग पर कैसा पड़ा।

इसके अलावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि और रुपया कमजोरी भी MPC के विचारों में रहेगी। पिछली नीति समीक्षा में MPC ने कहा था कि आगे दर कट के लिए सीमित जगह है।

आरबीआई की स्थिति

Nuvama की रिपोर्ट में कहा गया है कि MPC संभवतः मौजूदा दर को यथावत रखेगी। मुद्रास्फीति अभी RBI के लक्ष्य के भीतर है, लेकिन वर्ष के अंत तक बढ़ने की संभावना है। आरबीआई पहले किए गए दर कट के असर को पूरी तरह समझने के बाद ही आगे दर में कटौती पर विचार करेगी।

आरबीआई ने यह भी कहा कि केवल मौद्रिक नीति से आर्थिक विकास तेज नहीं हो सकता। मांग बढ़ाने के लिए वित्तीय कदम ज्यादा प्रभावी हैं। जीएसटी कट से उपभोग में बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन इसके प्रभाव को आंकने के लिए MPC फिलहाल इंतजार कर सकती है।

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