भारत और यूरोप के EFTA देशों (स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, लिकटेंस्टीन) के बीच हुआ व्यापार समझौता (TEPA) 1 अक्टूबर से लागू होगा। इसके तहत 99% भारतीय निर्यात टैक्स-फ्री होंगे, जबकि भारत 80–85% आयात पर टैक्स हटा देगा। EFTA देश 15 साल में 100 अरब डॉलर का निवेश करेंगे, जिससे भारत में 1 करोड़ रोजगार बनने की उम्मीद है।
Indias first europe facing trade: दिल्ली के भारत मंडपम में 1 अक्टूबर को भारत और यूरोप के चार अमीर देशों के समूह EFTA (स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, लिकटेंस्टीन) के बीच हुआ पहला व्यापार समझौता TEPA लागू किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और EFTA देशों के नेता इस मौके पर मौजूद रहेंगे। इस समझौते से भारत को 99% निर्यात पर टैक्स-फ्री पहुंच, 100 अरब डॉलर का निवेश और 1 करोड़ नए रोजगार का फायदा मिलेगा। वहीं, कृषि और डेयरी उत्पादों को सौदे से बाहर रखा गया है ताकि घरेलू किसानों पर असर न पड़े।
EFTA क्या है और इसमें कौन से देश शामिल हैं
EFTA यानी European Free Trade Association की स्थापना यूरोप में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हुई थी। इसमें चार छोटे लेकिन बेहद समृद्ध देश शामिल हैं। ये देश हैं स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन। भारत और EFTA देशों के बीच इस साल मार्च में व्यापार समझौता साइन किया गया था, जिसे TEPA कहा गया। सभी देशों की मंजूरी के बाद यह समझौता 1 अक्टूबर से लागू होने जा रहा है।
बिना टैक्स के होगा कारोबार
इस समझौते के लागू होने के बाद भारत और EFTA देशों के बीच कारोबार में बड़ा बदलाव आएगा। अब दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ कम टैक्स या बिना टैक्स के व्यापार कर सकेंगे। इसका मतलब यह है कि इन देशों से आने वाले कई सामान भारत में सस्ते होंगे और भारतीय उत्पाद भी वहां बिना टैक्स के बिक पाएंगे। सरकार का मानना है कि इससे भारतीय निर्यातकों को यूरोपीय बाजार में नई ताकत मिलेगी।
समझौते में निवेश की बड़ी शर्त
इस बार का समझौता सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है। इसमें निवेश को भी शामिल किया गया है। EFTA देशों ने भारत में अगले 15 साल में 100 अरब डॉलर निवेश करने का वादा किया है। इसमें पहले 10 साल में 50 अरब डॉलर और फिर अगले 5 साल में 50 अरब डॉलर लगाए जाएंगे। सरकार का अनुमान है कि इस निवेश से देश में करीब 1 करोड़ नए रोजगार के मौके बनेंगे। यह पहली बार है जब भारत ने किसी व्यापार समझौते में निवेश की शर्त को सीधे तौर पर शामिल किया है।
भारत को मिलेगा बड़ा फायदा
EFTA देशों में वैसे भी आयात पर ज्यादा टैक्स नहीं लगता, इसलिए भारतीय उत्पादकों के लिए वहां सामान बेचना पहले से आसान था। लेकिन अब भारत को वहां करीब 99 प्रतिशत सामान पर टैक्स फ्री एक्सेस मिलेगा। दूसरी ओर, भारत ने भी इन देशों से आने वाले लगभग 80 से 85 प्रतिशत उत्पादों पर टैक्स हटा दिया है। हालांकि, किसानों और डेयरी से जुड़े उत्पादों को इस समझौते से बाहर रखा गया है ताकि देश की कृषि और दुग्ध उद्योग पर असर न पड़े।
स्विट्ज़रलैंड सबसे बड़ा साझेदार
EFTA देशों में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साथी स्विट्ज़रलैंड है। पिछले साल भारत ने EFTA देशों को लगभग 2 अरब डॉलर का निर्यात किया, जिसमें से करीब तीन चौथाई हिस्सा स्विट्ज़रलैंड को गया। वहीं, भारत ने इन देशों से 22 अरब डॉलर का आयात किया, जिसमें 21.8 अरब डॉलर सिर्फ स्विट्ज़रलैंड से आया। यह आंकड़े दिखाते हैं कि भारत को इन देशों के साथ व्यापार में बड़ा घाटा झेलना पड़ रहा है। लेकिन सरकार का मानना है कि इस समझौते से व्यापार संतुलित होगा और निवेश से नए उद्योग खड़े होंगे।
भारत मंडपम में होगा खास आयोजन
समझौते के लागू होने के दिन यानी 1 अक्टूबर को दिल्ली के भारत मंडपम में भव्य कार्यक्रम होगा। इसमें उद्योग जगत, कारोबारी संगठन और सरकारी अधिकारी शामिल होंगे। सरकार इस कार्यक्रम के जरिए यह संदेश देना चाहती है कि भारत ने यूरोप के साथ व्यापार का नया रास्ता खोला है और कारोबारियों को इसका पूरा फायदा उठाना चाहिए।