बिहार चुनाव 2025 में वाम दल महागठबंधन संग 400 बाहरी नेताओं को प्रचार में उतारेंगे। जेएनयू-डीयू छात्र नेता और शीर्ष नेता बूथ स्तर तक तालमेल संभालेंगे। एनडीए के खिलाफ माहौल बनाने की बड़ी रणनीति तय हुई।
Bihar Chinav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वामपंथी दलों ने महागठबंधन के साथ मिलकर पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है। इस बार उनकी रणनीति पर पूरे देश की नजर है। वाम दलों ने अलग-अलग राज्यों से नेताओं और संगठनकर्ताओं की एक बड़ी टीम तैयार की है। इन नेताओं की जिम्मेदारी होगी कि वे बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं में तालमेल बैठाएं और एनडीए के खिलाफ माहौल बनाएं।
400 नेताओं की फौज मैदान में उतरेगी
वाम दलों की इस रणनीति का सबसे बड़ा हिस्सा बाहरी नेताओं की मौजूदगी है। बिहार चुनाव में लगभग 400 नेता और संगठनकर्ता अलग-अलग राज्यों से आएंगे। इनमें पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह सभी नेता बिहार के अलग-अलग जिलों में चुनाव प्रचार का नेतृत्व करेंगे।
जेएनयू और दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र नेता
दिल्ली से भी बड़ी संख्या में नेता बिहार चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगे। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) और दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के छात्र नेता इस अभियान का अहम हिस्सा होंगे। इन छात्र नेताओं की पहचान हमेशा से वामपंथी राजनीति से रही है। चुनाव प्रचार में वे युवा मतदाताओं के बीच माहौल बनाने पर फोकस करेंगे।
भाकपा की तैयारियां
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने केंद्रीय पोलित ब्यूरो की सहमति से 186 नेताओं और संगठनकर्ताओं की सूची तैयार की है। इन नेताओं को बिहार चुनाव में सक्रिय भूमिका निभानी है। भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने साफ कहा है कि इस बार पार्टी हर मोर्चे पर पूरी ताकत के साथ महागठबंधन का साथ निभाएगी।
माकपा का प्लान
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा भी इस चुनाव में जोरदार तैयारी कर रही है। पार्टी के राज्य सचिव ललन चौधरी के मुताबिक 10 अक्टूबर के बाद विभिन्न प्रांतों से चार दर्जन से ज्यादा नेता बिहार पहुंचेंगे। ये नेता महागठबंधन के साथ मिलकर प्रचार अभियान को संभालेंगे और एनडीए के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।
भाकपा-माले की रणनीति
भाकपा-माले भी अपनी सूची को अंतिम रूप देने में जुटा है। पार्टी देशभर से उन नेताओं को बिहार बुला रही है जिनके पास चुनावी अनुभव और रणनीतिक कौशल है। पार्टी का मानना है कि बाहरी नेताओं की मौजूदगी से चुनाव प्रचार में ऊर्जा आएगी और कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ेगा।
महागठबंधन में मजबूती का संदेश
बाहरी नेताओं की यह मौजूदगी महागठबंधन के लिए एकजुटता का संदेश है। वाम दलों का उद्देश्य है कि एनडीए के खिलाफ विपक्षी मतों को मजबूत किया जाए। अलग-अलग राज्यों से आए नेता यह भी दिखाना चाहते हैं कि बिहार का चुनाव केवल राज्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डाल सकता है।
प्रचार अभियान का ढांचा
वाम दलों का पूरा ध्यान बूथ स्तर पर मजबूत समन्वय पर है। इसके लिए बाहरी नेताओं को जिलों और क्षेत्रों में जिम्मेदारी दी जाएगी। उनका काम होगा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना, प्रचार अभियान की रणनीति बनाना और मतदाताओं के बीच पार्टी का संदेश पहुंचाना।
चुनावी रैलियों का माहौल
वाम दलों की चुनावी रैलियों में इन बड़े नेताओं की मौजूदगी से भीड़ जुटने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में मजबूत पकड़ रखने वाले नेता बिहार में भीड़ खींचने और माहौल बनाने में मदद करेंगे। दिल्ली और जेएनयू के छात्र नेताओं की मौजूदगी युवा वोटरों को लुभाने का प्रयास होगा।
महागठबंधन की साझा रणनीति
वाम दलों ने महागठबंधन के भीतर यह सुनिश्चित किया है कि उनकी ताकत साझा रणनीति में झलके। हर दल की कोशिश है कि अलग-अलग इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जाए। इससे कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर चुनाव लड़ने का संदेश जाएगा।
प्रमुख नेताओं की भूमिका
इस चुनाव में वाम दलों के बड़े नेता भी सक्रिय रहेंगे। भाकपा के महासचिव डी. राजा और अमरजीत कौर, माकपा के महासचिव एमए बेबी, प्रकाश करात, विजय राघवन, अशोक धावले, सुभाषिणी अली और वृंदा करात प्रमुख चेहरों में होंगे। भाकपा-माले की ओर से महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य और स्वदेश भट्टाचार्य भी बिहार चुनाव प्रचार में उतरेंगे।