रिलायंस इंडस्ट्रीज अब तेल से हटकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में बड़ा निवेश कर रही है। मेटा के साथ REIL जॉइंट वेंचर बनाकर कंपनी 855 करोड़ रुपये लगाएगी और 1 गीगावाट AI डेटासेंटर पर 12–15 अरब डॉलर खर्च करेगी। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, 2027 तक रिलायंस का AI वर्टिकल 30 अरब डॉलर वैल्यूएशन तक पहुंच सकता है।
Reliance Industries: मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने AI सेक्टर में कदम बढ़ाते हुए मेटा के साथ ‘रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (REIL)’ नामक नया जॉइंट वेंचर बनाया है, जिसमें रिलायंस की 70% और मेटा की 30% हिस्सेदारी होगी। दोनों कंपनियां 855 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करके एंटरप्राइज AI प्रोडक्ट्स लॉन्च करेंगी। मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, रिलायंस 1 गीगावाट AI डेटासेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर पर 12–15 अरब डॉलर खर्च करेगी और 2027 तक इसका मूल्यांकन 30 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह बदलाव रिलायंस को तेल-गैस से हटाकर एक डीप-टेक पावरहाउस में बदलने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
मेटा के साथ नई साझेदारी
रिलायंस ने पिछले हफ्ते रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (आरईआईएल) नाम से एक नया जॉइंट वेंचर बनाया है। इस वेंचर में रिलायंस की 70 प्रतिशत और मेटा की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। दोनों कंपनियां मिलकर 855 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करेंगी। इसका मकसद एंटरप्राइज सेक्टर के लिए एआई आधारित सर्विसेज और प्रोडक्ट्स तैयार करना है। इस साझेदारी के ज़रिए रिलायंस यह दिखाना चाहती है कि उसका एआई विजन अब केवल योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि हकीकत में बदलने लगा है।
15 अरब डॉलर का निवेश प्लान
मॉर्गन स्टेनली के अनुमानों के मुताबिक रिलायंस एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 12 से 15 अरब डॉलर खर्च करने जा रही है। कंपनी 1 गीगावाट क्षमता वाला एआई डेटा सेंटर नेटवर्क तैयार करेगी। यह अब तक का सबसे बड़ा टेक्नोलॉजी इन्वेस्टमेंट होगा, जिससे भारत में एआई इकोसिस्टम को नई दिशा मिलेगी।
मॉर्गन स्टेनली के विश्लेषक मयंक माहेश्वरी का कहना है कि इन शुरुआती निवेशों पर रिलायंस को लगभग 11 प्रतिशत रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा कंपनी अपने डेटा सेंटर की कुछ क्षमता को हाइपरस्केलर्स और बड़े एआई मॉडल डेवलपर्स को किराए पर दे सकती है।
ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि 2027 तक रिलायंस का एआई वर्टिकल करीब 30 अरब डॉलर की वैल्यू तक पहुंच सकता है। यानी कंपनी के एआई इन्वेस्टमेंट की वैल्यू उसकी लागत से लगभग दोगुनी हो जाएगी। यह संकेत देता है कि निवेशकों को रिलायंस की इस नई दिशा पर भरोसा है और बाजार में इसके लिए उत्साह बढ़ रहा है।
रिलायंस का नया दांव: एआई और ग्रीन एनर्जी में बड़ा कदम

रिलायंस की रणनीति दो स्तरों पर काम कर रही है। पहला, कंपनी अपने शुरुआती 100 मेगावाट जनरल एआई डेटा सेंटर का इस्तेमाल छोटे और मध्यम एआई मॉडल्स के लिए करेगी। इसके लिए वह मेटा के साथ साझेदारी में काम कर रही है। दूसरा, कंपनी गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गजों के साथ भी सहयोग कर रही है ताकि एंटरप्राइज सेक्टर की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।
रिपोर्ट्स के मुताबिक डेटा सेंटर ऐज अ सर्विस मॉडल से रिलायंस को प्रति मेगावाट करीब 1.5 से 1.6 मिलियन डॉलर की सालाना आमदनी हो सकती है। लेकिन रिलायंस का असली फोकस बड़े पैमाने पर 100 गीगावाट सोलर पैनल क्षमता और 30 से 40 गीगावाट-ऑवर बैटरी क्षमता विकसित करने पर है। यह कदम डेटा सेंटरों की बिजली की भारी खपत को पूरा करने और स्वच्छ ऊर्जा को व्यावसायिक रूप देने में मदद करेगा।
एआई और टेलीकॉम के बीच अलग पहचान
रिलायंस जियो इन्फोकॉम के स्ट्रैटेजी हेड अंशुमान ठाकुर ने कंपनी की दूसरी तिमाही की अर्निंग्स कॉल के दौरान बताया कि जियो और रिलायंस इंटेलिजेंस के कामकाज को अलग रखा गया है। जियो जहां एक यूजर के तौर पर एआई सेवाओं का इस्तेमाल करेगा, वहीं रिलायंस इंटेलिजेंस एआई प्रोडक्ट्स और सॉल्यूशन्स तैयार करने पर फोकस करेगा।
उन्होंने कहा कि फिलहाल कंपनी खुद का लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) नहीं बना रही, बल्कि उन कंपनियों को तैयार कर रही है जो एआई आधारित प्रोडक्ट्स और सेवाएं बनाएंगी। जियो इन विकसित तकनीकों का उपयोग करेगा और जरूरत पड़ने पर ओपनएआई, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के साथ भी सहयोग करेगा।













