सितंबर में भारत का सर्विस PMI 60.9 पर आ गया, जो अगस्त के 62.9 से कम है। ग्रोथ धीमी रही, खासकर अंतरराष्ट्रीय मांग में सुस्ती के कारण। मैन्युफैक्चरिंग PMI भी 57.7 पर धीमी वृद्धि दर्ज की। कुल मिलाकर, कंपोजिट PMI 61.0 पर रहा, जो जून के बाद सबसे कमजोर विस्तार को दर्शाता है।
Services PMI: सितंबर में भारत के सर्विस सेक्टर की गतिविधियां लगातार 26वें महीने बढ़ीं, लेकिन वृद्धि की रफ्तार धीमी रही। HSBC इंडिया के सर्वे के अनुसार, सर्विस PMI 60.9 पर आ गया, जबकि मैन्युफैक्चरिंग PMI 57.7 रही। इस सुस्ती का मुख्य कारण वैश्विक मांग में कमी और प्रतिस्पर्धात्मक माहौल है। दोनों सेक्टरों में उत्पादन और नए ऑर्डर की वृद्धि धीमी रही, जिससे कंपोजिट PMI अगस्त के 63.2 से घटकर 61.0 पर पहुंच गया।
सर्विस सेक्टर में ग्रोथ धीमी
HSBC के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा कि सितंबर में सर्विस सेक्टर की गतिविधियों में अगस्त के उच्च स्तर की तुलना में थोड़ी धीमी वृद्धि देखी गई। अधिकांश ट्रैकर्स में थोड़ी कमी आई है, लेकिन किसी बड़ी गिरावट का संकेत नहीं मिला। फ्यूचर एक्टिविटी इंडेक्स मार्च के बाद सबसे उच्च स्तर पर पहुंचा, जो सर्विस कंपनियों के व्यापार संभावनाओं को सकारात्मक दिखाता है।
नई ऑर्डर की वृद्धि भी अगस्त के मुकाबले धीमी रही। इसका मुख्य कारण भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी बताई गई। निर्यात में इजाफा हुआ, लेकिन यह मार्च के बाद सबसे धीमी दर से बढ़ा। कंपनियों ने बताया कि प्रतिस्पर्धी माहौल और लागत नियंत्रण के उपायों के कारण वृद्धि सीमित रही।
नई नौकरियों और मूल्य वृद्धि में मंदी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि नई नौकरियों की संख्या में वृद्धि धीमी रही। केवल पांच प्रतिशत से कम कंपनियों ने भर्ती में बढ़ोतरी की सूचना दी। इसके अलावा सेवाओं के लिए चार्ज किए गए मूल्य भी धीरे-धीरे बढ़े। मार्च के बाद यह वृद्धि सबसे धीमी रही।
कंपनियों ने दूसरी तिमाही के अंत में लेबर और मैटीरियल लागत में बढ़ोतरी देखी। कुल मिलाकर मुद्रास्फीति स्थिर रही, लेकिन पिछले महीने से कम और दीर्घकालिक औसत से नीचे रही।
ट्रेड सेंटीमेंट में सुधार
हालांकि ग्रोथ थोड़ी धीमी रही, लेकिन सितंबर में ट्रेड सेंटीमेंट बढ़ा और छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंचा। कंपनियों ने विज्ञापन, स्किल डेवलपमेंट, प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण और कर कटौती जैसी वजहों को सकारात्मक कारक बताया। इसके चलते भविष्य में वृद्धि की संभावनाएं बनी हुई हैं।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी धीमी वृद्धि
मैन्युफैक्चरिंग PMI सितंबर में 57.7 पर रहा, जो अगस्त के 59.3 से कम है। यह मई के बाद सेक्टर की सबसे कमजोर वृद्धि को दर्शाता है, लेकिन 50 के न्यूट्रल स्तर से ऊपर होने के कारण यह विस्तार का संकेत देता है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उत्पादन वृद्धि धीमी रही और नए ऑर्डर में भी नरमी देखी गई।
कंपोजिट PMI में गिरावट
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों में धीमी वृद्धि के कारण HSBC इंडिया कंपोजिट PMI आउटपुट इंडेक्स सितंबर में अगस्त के 63.2 से घटकर 61.0 पर आ गया। यह जून के बाद सबसे कमजोर विस्तार दर को दर्शाता है। रिपोर्ट में बताया गया कि कुल बिक्री पिछले तीन महीनों में सबसे धीमी दर से बढ़ी।
अंतरराष्ट्रीय मांग का असर
विशेषज्ञों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मांग में सुस्ती से भारतीय सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि प्रभावित हुई है। निर्यात बढ़ा, लेकिन अपेक्षित तेजी नहीं दिखी। इसके अलावा वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी वृद्धि की गति को सीमित कर रहे हैं।