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Skanda Shashti 2025 दुर्लभ योग में करें स्कंद षष्ठी पूजा, मिलेगा दोगुना फल

Skanda Shashti 2025 दुर्लभ योग में करें स्कंद षष्ठी पूजा, मिलेगा दोगुना फल

स्कंद षष्ठी 2025 27 सितंबर को शनिवार को मनाई जाएगी और इस बार यह विशेष योगों के कारण और भी महत्वपूर्ण हो गई है। रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं, जिससे व्रत और पूजा करने वालों को दोगुना फल मिलने की संभावना है। यह दिन भगवान कार्तिकेय की उपासना और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।

Skanda Sashti 2025: इस साल 27 सितंबर को शनिवार को मनाई जाने वाली स्कंद षष्ठी विशेष योगों के कारण महत्वपूर्ण बन गई है। पंचांग के अनुसार, यह पर्व भगवान कार्तिकेय को समर्पित है, जिन्हें युद्ध और शक्ति का देवता माना जाता है। रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन व्रत और पूजा करने वालों को दोगुना फल मिलने की संभावना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय और व्यक्तिगत तथा पारिवारिक जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए बेहद शुभ है।

विशेष योग और उनका महत्व

  • रवि योग: रवि योग सूर्य देव की कृपा लाता है और सभी प्रकार के अशुभ प्रभावों को दूर करता है। इस योग में की गई पूजा का फल निश्चित रूप से मिलता है। यह योग विशेष रूप से स्वास्थ्य, धन और मानसिक शांति में लाभकारी माना जाता है।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: सर्वार्थ सिद्धि योग सभी कार्यों में सफलता और इच्छाओं की पूर्ति दिलाने वाला माना जाता है। इस योग में भगवान कार्तिकेय की उपासना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूरी हो सकती हैं। इस दुर्लभ संयोग के कारण इस साल स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजा अधिक फलदायी मानी जा रही है।

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व

  • भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति और युद्ध, शक्ति, विजय के प्रतीक हैं। इस दिन उनका व्रत करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं:
  • संतान सुख: निःसंतान दंपतियों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।
  • रोग और कष्टों से मुक्ति: व्रत करने वाले को रोग, दुख और दरिद्रता से राहत मिलती है।
  • धन और ऐश्वर्य: यह व्रत जीवन में धन, ऐश्वर्य और समृद्धि लाता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: पूजा और व्रत से आध्यात्मिक विकास और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • शत्रुओं पर विजय: भगवान कार्तिकेय की उपासना से जीवन की बाधाओं और शत्रुओं पर विजय मिलती है।

इस प्रकार स्कंद षष्ठी व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में भी मदद करता है।

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

  • स्नान और संकल्प: सुबहे जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के मंदिर को साफ करें और भगवान कार्तिकेय के सामने व्रत का संकल्प लें।
  • मूर्ति स्थापना: पूजा स्थल पर भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • अभिषेक और पूजन: भगवान का पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक करें। चंदन, रोली, अक्षत, धूप, दीप और लाल या पीले फूल (जैसे गेंदा, चमेली) अर्पित करें।
  • भोग अर्पित करना: भगवान को फल, मिठाई और मोदक/अप्पम का भोग लगाएं। कुछ जगहों पर मोर पंख अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।

मंत्र जाप और कथा

पूजा के दौरान भगवान कार्तिकेय के मंत्रों का जाप करें। मुख्य मंत्र:

ॐ श्री शरवणभवाय नमः

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नो स्कन्दः प्रचोदयात्..

आरती और दान

पूजा समाप्त होने के बाद भगवान की आरती करें। व्रत के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना अत्यंत शुभ माना जाता है।

पूजा का शुभ समय

इस वर्ष स्कंद षष्ठी शनिवार को पड़ रही है, इसलिए शनिदेव से संबंधित कष्टों में भी राहत मिलने की संभावना है। सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और पूजा करना विशेष लाभकारी है। इसके अलावा दिन के अन्य शुभ मुहूर्तों में भी पूजा की जा सकती है।

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