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स्मॉल और मिडकैप शेयरों में भारी गिरावट,जानिए अगले हफ्ते बाजार की चाल कैसी रह सकती है?

स्मॉल और मिडकैप शेयरों में भारी गिरावट,जानिए अगले हफ्ते बाजार की चाल कैसी रह सकती है?

बीते हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में स्मॉल और मिडकैप शेयरों में 3-4.5% की गिरावट आई, जबकि निफ्टी 50 और सेंसेक्स क्रमशः 2.65% और 2.66% नीचे बंद हुए। अमेरिका में हाई वीजा फीस, फार्मा सेक्टर पर नए टैरिफ और एफआईआई की निरंतर बिकवाली से निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ। डीआईआई ने खरीदारी जारी रखी।

Small and midcaps selloff: 26 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार में प्रमुख ब्रॉडर इंडेक्सों ने तीन सप्ताह की बढ़त का सिलसिला तोड़ दिया। निफ्टी 50 24,654.70 पर 2.65% गिरा और सेंसेक्स 80,426.46 पर 2.66% नीचे बंद हुआ। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक में लगभग 4% की गिरावट दर्ज की गई। अमेरिका में H1B वीजा नियमों, फार्मा सेक्टर पर टैरिफ और लगातार एफआईआई की बिकवाली बाजार दबाव का मुख्य कारण बने, जबकि घरेलू निवेशक खरीदारी में सक्रिय रहे।

विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली

सितंबर के अंतिम हफ्ते में विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार बिकवाली करते रहे। पूरे सप्ताह उन्होंने 19,570.03 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। सितंबर माह में कुल बिकवाली 30,141.68 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इसके विपरीत घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) ने लगातार खरीदारी जारी रखी और इस महीने 55,736.09 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी खरीदी। इस तरह विदेशी बिकवाली और घरेलू खरीदारी का अंतर बाजार में दबाव का कारण बना।

प्रमुख इंडेक्सों का प्रदर्शन

बीते सप्ताह निफ्टी 50 में 672.35 अंक यानी 2.65 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 24,654.70 पर बंद हुआ। इसी तरह बीएसई सेंसेक्स 2,199.77 अंक यानी 2.66 प्रतिशत गिरकर 80,426.46 पर बंद हुआ। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में क्रमशः 4 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

सेक्टोरल इंडेक्सों की कमजोरी

सप्ताह के दौरान सभी प्रमुख सेक्टोरल इंडेक्स निगेटिव रिटर्न देने वाले रहे। निफ्टी आईटी इंडेक्स में 8 प्रतिशत की गिरावट आई, निफ्टी रियल्टी 6 प्रतिशत नीचे गया, निफ्टी फार्मा 5.2 प्रतिशत और निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 4.6 प्रतिशत टूटे। बीएसई डिफेंस इंडेक्स में भी 4.4 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च हेड श्रीकांत चौहान ने कहा कि H1B वीजा नियमों और फार्मा सेक्टर पर नए टैरिफ ने मार्केट सेंटीमेंट को कमजोर किया।

अमेरिकी नीतियों का असर

अमेरिका द्वारा H1B वीजा नियमों में सख्ती और आयातित ब्रांडेड या पेटेंटेड फार्मा उत्पादों पर 100 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा ने बाजार पर दबाव डाला। एक्सेंचर के वित्त वर्ष 2026 के रेवेन्यू गाइडलाइन में ऊपरी स्तर पर खर्च में कोई सुधार नहीं और निचले स्तर पर गिरावट का अनुमान भी निवेशकों को सतर्क कर गया। इन कारणों से बीएसई आईटी और हेल्थकेयर इंडेक्स में क्रमशः 7 प्रतिशत और लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई।

ऑटो और त्योहारी मौसम का असर

त्योहारी सीजन के शुरुआती दिनों में ऑटो सेक्टर में अच्छी बुकिंग और डिलीवरी की खबरें आईं, लेकिन ग्लोबल मार्केट के मिलेजुले रुख़ और अमेरिकी व्यापार नीतियों में अनिश्चितता ने इस सेक्टर के प्रदर्शन को सीमित रखा। विकसित बाजार उभरते बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं और ईसीबी के सतर्क रुख़ ने उभरते बाजारों के लिए दबाव बनाए रखा।

निवेशकों का नजरिया

विश्लेषकों का मानना है कि वर्तमान में स्मॉल और मिडकैप शेयरों में गिरावट निवेशकों के लिए अवसर भी पैदा कर सकती है। हालांकि अमेरिकी नीतियों और फार्मा टैरिफ जैसे मुद्दों का असर अगले हफ्ते भी बाजार पर बना रह सकता है। निवेशकों को सतर्क रहना जरूरी है और बाजार की चाल को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनानी होगी।

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