RBI ने मृत बैंक ग्राहकों के खाते और लॉकर से जुड़े क्लेम को 15 दिनों में निपटाने के नए नियम जारी किए हैं। यदि बैंक देरी करेगा तो नॉमिनी को मुआवजा देना होगा। नए नियम 31 मार्च, 2026 तक लागू होंगे और कस्टमर सर्विस सुधारने के लिए डॉक्यूमेंटेशन भी स्टैंडर्डाइज किया गया है।
RBI New Rule: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मृत बैंक ग्राहकों के खातों और सेफ डिपॉजिट लॉकर से जुड़े क्लेम सेटलमेंट के नए निर्देश जारी किए। नए नियमों के तहत बैंक को मृत ग्राहक के नॉमिनी को 15 दिनों में बकाया राशि का भुगतान करना होगा, अन्यथा मुआवजा देना पड़ेगा। बिना नॉमिनी वाले खातों में 5 लाख रुपये (सहकारी बैंक) और 15 लाख रुपये (अन्य बैंक) तक के क्लेम को आसान प्रोसेस से निपटाया जा सकेगा। आरबीआई ने कहा कि ये नियम 31 मार्च, 2026 तक लागू होंगे और ग्राहक सेवा सुधारने के लिए डॉक्यूमेंटेशन स्टैंडर्डाइज किया गया है।
नए नियम कब तक लागू होंगे
RBI ने कहा कि 'बैंकों के मृत ग्राहकों के संबंध में क्लेम सेटलमेंट निर्देश, 2025' को जल्द से जल्द लागू करना होगा और इसे 31 मार्च, 2026 तक सभी बैंकों में पूरी तरह लागू करना अनिवार्य है। नए निर्देश डिपॉजिट अकाउंट, सेफ डिपॉजिट लॉकर और मृत ग्राहक के सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तुओं के क्लेम सेटलमेंट से संबंधित हैं।
नॉमिनी वाले खातों के लिए नई व्यवस्था
RBI ने स्पष्ट किया कि जिन खातों में मृत ग्राहक ने किसी नॉमिनी को बनाया हुआ है, वहां नॉमिनी को बैंक की देय राशि का भुगतान बैंक की देयता से वैध ‘डिस्चार्ज’ माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि बैंक द्वारा निर्धारित समय में भुगतान करने से बैंक की जिम्मेदारी पूरी मानी जाएगी। इससे मृत ग्राहक के नॉमिनी को क्लेम मिलने में आसानी होगी और प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बन जाएगी।
जिन खातों में नॉमिनी नहीं बनाया गया है, वहां बैंक क्लेम सेटलमेंट के लिए सरल प्रक्रिया अपनाएंगे। RBI ने सहकारी बैंकों में 5 लाख रुपये और अन्य बैंकों में 15 लाख रुपये तक के क्लेम के लिए आसान प्रोसेस अपनाने की सलाह दी है। इसके तहत बैंक छोटे क्लेम के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र या कानूनी दस्तावेज की मांग कम कर सकते हैं। उच्च राशि वाले क्लेम के मामले में बैंक अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग कर सकता है।
कस्टमर सर्विस में सुधार
नए नियमों में कस्टमर सर्विस की गुणवत्ता में सुधार के लिए डॉक्यूमेंटेशन को स्टैंडर्डाइज्ड किया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि मृत ग्राहक से जुड़े क्लेम के दौरान बैंक और नॉमिनी दोनों के लिए प्रक्रिया सरल, तेज और पारदर्शी हो। RBI ने कहा कि क्लेम सेटलमेंट में देरी से न केवल नॉमिनी को नुकसान होता है बल्कि बैंक पर भी जिम्मेदारी बढ़ती है।
देरी पर मुआवजा देने का प्रावधान
RBI ने नए नियमों में यह स्पष्ट किया है कि अगर बैंक 15 दिनों के भीतर क्लेम का भुगतान नहीं करता है, तो नॉमिनी को देरी का मुआवजा देना होगा। मुआवजा देने की यह व्यवस्था बैंकिंग प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से लागू की गई है।
लॉकर और सुरक्षित वस्तुओं के क्लेम
नए निर्देश केवल बैंक खातों तक सीमित नहीं हैं। मृत ग्राहक के सेफ डिपॉजिट लॉकर और सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तुओं के क्लेम सेटलमेंट में भी समान नियम लागू होंगे। अब लॉकर या सुरक्षित वस्तुओं के क्लेम के मामले में भी बैंक को तय समय सीमा में भुगतान करना होगा।
RBI ने कहा कि क्लेम सेटलमेंट में जरूरी डॉक्यूमेंटेशन को स्टैंडर्डाइज किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी बैंक समान प्रक्रिया का पालन करें और ग्राहकों को आवश्यक दस्तावेजों को लेकर भ्रम या परेशानी का सामना न करना पड़े।
बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता
नए नियमों से बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी। नॉमिनी को क्लेम का भुगतान तय समय में होने से न केवल ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा बल्कि बैंक की प्रक्रिया भी अधिक जिम्मेदार बन जाएगी। RBI ने कहा कि ये बदलाव मृत ग्राहक से जुड़े क्लेम को आसान और त्वरित बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं।
RBI ने सभी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे नए नियमों को 31 मार्च, 2026 तक पूरी तरह लागू करें। इसके तहत बैंक को नॉमिनी और उत्तराधिकारियों के क्लेम को तय समय में निपटाना अनिवार्य होगा। बैंकों की देरी पर नॉमिनी को मुआवजा देने की व्यवस्था भी लागू होगी।