हुसैन दलवई ने सनातन धर्म को कट्टरवादी विचारधारा बताया और मनुस्मृति को संविधान विरोधी ठहराया, जिससे सियासी हलचल तेज़ हो गई।
Husain Dalwai: महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर धर्म और विचारधारा के टकराव के कारण सुर्खियों में है। एनसीपी-एससीपी के विधायक जितेंद्र आव्हाड के विवादित बयान के बाद अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद हुसैन दलवई के सनातन धर्म को लेकर दिए गए बयान ने सियासी हलचल को और तेज़ कर दिया है। दलवई ने अपने बयान में सनातन धर्म को कट्टरवाद से जोड़ते हुए मनुस्मृति को संविधान विरोधी करार दिया, जिससे देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं।
आव्हाड की टिप्पणी से शुरू हुआ विवाद
इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत हुई एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड के उस बयान से, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'सनातन धर्म ने भारत को बर्बाद कर दिया।' उन्होंने यह भी दावा किया कि सनातन नाम का कोई धर्म ऐतिहासिक रूप से अस्तित्व में नहीं था, और यह केवल सामाजिक असमानता, छुआछूत और जातिवाद को बढ़ावा देने वाली एक विचारधारा है। आव्हाड ने उदाहरण के तौर पर छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज, ज्योतिराव फुले, सावित्रीबाई फुले और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के साथ हुए सामाजिक अन्यायों को गिनाया। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन विचारधारा ही अंबेडकर को शिक्षा और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित करने के लिए जिम्मेदार रही है।
हुसैन दलवई का पलटवार, सनातन को बताया संविधान विरोधी
अब कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने इस बहस को और गहरा करते हुए कहा, 'सनातन धर्म को मानने वाले लोग अधिकतर कट्टरवादी सोच रखते हैं। वे मनुस्मृति को सर्वोच्च मानते हैं, जबकि मनुस्मृति का दर्शन हमारे संविधान के विपरीत है।' उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सबको समानता का अधिकार देता है, लेकिन सनातनी विचारधारा जाति आधारित भेदभाव को बढ़ावा देती है।
दलवई ने हिंदू धर्म और सनातन धर्म में फर्क बताते हुए कहा कि असली हिंदू धर्म गांधीवादी विचारधारा पर आधारित है जो सबको साथ लेकर चलने की बात करता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सनातन विचारधारा ने समय-समय पर समाज के कमजोर वर्गों को दबाने का काम किया है।
संसद की कार्यवाही और राहुल गांधी
दलवई ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि संसद में विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी जब सवाल उठाते हैं तो सरकार जवाब देने से बचती है।' सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी पर दलवई ने कहा कि न्यायपालिका का सम्मान जरूरी है, लेकिन लोकतंत्र में सरकार की जवाबदेही भी उतनी ही अहम है।
आतंकवाद और नक्सलवाद पर स्पष्टता
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत द्वारा आतंकवाद से जुड़े दिए गए बयान पर भी दलवई ने विरोध जताया। उन्होंने कहा, 'नक्सलवाद और आतंकवाद को एक नजर से नहीं देखा जा सकता।' दलवई के अनुसार, नक्सलवाद गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा की कोख से जन्मा आंदोलन है, जबकि आतंकवाद एक संगठित, वैश्विक खतरा है जिसे शिक्षा प्राप्त लोग भी अंजाम देते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार आर्थिक असमानता को दूर करने में विफल रही है, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में असंतोष और असुरक्षा की भावना बढ़ी है। यह स्थिति देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है।
'ऑपरेशन सिंदूर' और सरकार की असहजता
दलवई ने संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई चर्चा का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला सरकार की कूटनीतिक और खुफिया विफलता को उजागर करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है और इससे उसकी कार्यशैली पर सवाल उठते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि INDIA गठबंधन अब पहले से अधिक संगठित और सक्रिय है तथा जनविरोधी नीतियों के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ेगा।