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UNGA में भारत ने फिलिस्तीन का दिया साथ, अमेरिका-इजरायल विरोध से बढ़ी हलचल

UNGA में भारत ने फिलिस्तीन का दिया साथ, अमेरिका-इजरायल विरोध से बढ़ी हलचल

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन के समर्थन में मतदान कर दुनिया को चौंका दिया। इजरायल और अमेरिका के विरोध के बावजूद भारत ने स्पष्ट किया कि उसकी कूटनीति संतुलित है और उसका मकसद अंतरराष्ट्रीय शांति और न्याय को बनाए रखना है।

World Update: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन के पक्ष में एक अहम प्रस्ताव का समर्थन किया और इसके लिए मतदान भी किया। इस प्रस्ताव का इजरायल ने कड़ा विरोध किया था लेकिन भारत ने अपने रुख से एक बार फिर यह साफ कर दिया कि उसकी विदेश नीति (foreign policy) केवल एकतरफा समर्थन तक सीमित नहीं है बल्कि संतुलित और परिस्थितियों पर आधारित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति ने एक बार फिर पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर भारत कैसे इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के साथ रिश्ते निभाने में सफल हो रहा है।

भारत के फैसले से हतप्रभ दुनिया

भारत लंबे समय से इजरायल के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है। रक्षा समझौते, तकनीकी सहयोग और व्यापारिक रिश्तों में दोनों देशों की साझेदारी लगातार मजबूत हुई है। इसके बावजूद जब बात फिलिस्तीन और उसके अधिकारों की आती है तो भारत वहां भी अपना समर्थन देता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन के पक्ष में मतदान कर भारत ने यही संदेश दिया कि उसकी कूटनीति किसी एक देश पर आधारित नहीं है बल्कि उसका मकसद अंतरराष्ट्रीय संप्रभुता (sovereignty) और न्याय को बनाए रखना है। यही वजह है कि भारत का यह कदम दुनिया के लिए चौंकाने वाला रहा और कई देशों ने इस पर प्रतिक्रिया दी।

क्या था पूरा मामला

संयुक्त राष्ट्र में पेश किया गया यह प्रस्ताव फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से जुड़ा था। प्रस्ताव का मकसद अब्बास को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करने की अनुमति देना था। अमेरिका ने फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों को वीजा देने से इनकार कर दिया था जिसके कारण वे व्यक्तिगत रूप से सत्र में शामिल नहीं हो सके। ऐसे में यह प्रस्ताव उनके लिए एक विकल्प था। इजरायल ने इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया और अमेरिका ने भी इजरायल का साथ दिया। इसके बावजूद भारत ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान कर फिलिस्तीन को खुला समर्थन दिया।

महासभा में मतदान का नतीजा

संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने ‘फिलस्तीन राष्ट्र की भागीदारी’ शीर्षक से यह प्रस्ताव पारित किया। कुल 145 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, 5 देशों ने विरोध में वोट दिया और 6 देश मतदान से दूर रहे। इस तरह भारी बहुमत से प्रस्ताव पारित हो गया। भारत भी उन देशों में शामिल था जिन्होंने फिलिस्तीन के पक्ष में मतदान किया। यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत ने ऐसे समय में यह कदम उठाया जब अमेरिका और इजरायल दोनों इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई थी।

अमेरिका और इजरायल की नाराज़गी

अमेरिका ने साफ कर दिया कि वह फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों को वीजा नहीं देगा और उनके संयुक्त राष्ट्र सत्र में भाग लेने की संभावना को खारिज कर दिया। इजरायल ने भी इस प्रस्ताव का खुलकर विरोध किया और कहा कि फिलिस्तीन को इस तरह का मंच देना उचित नहीं है। अमेरिका और इजरायल का तर्क था कि फिलिस्तीनी नेतृत्व आतंकवाद (terrorism) को बढ़ावा देता है और उसके साथ सीधे संवाद करना समाधान नहीं है। लेकिन भारत ने इस तर्क के बावजूद अपने रुख को स्पष्ट रखते हुए मतदान में फिलिस्तीन का समर्थन किया।

भारत की संतुलित कूटनीति

भारत की कूटनीति हमेशा से संतुलित रही है। एक ओर भारत इजरायल से रक्षा तकनीक, कृषि और साइबर सुरक्षा में सहयोग करता है तो दूसरी ओर फिलिस्तीन को मानवीय सहायता और राजनीतिक समर्थन देता है। भारत का यह रुख दुनिया को यह संदेश देता है कि वह केवल दोस्ती निभाने के लिए किसी एक पक्ष का साथ नहीं देगा बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय शांति (peace) और न्याय के लिए संतुलित रवैया अपनाएगा। यही कारण है कि भारत की विदेश नीति को आज एक ‘balanced diplomacy’ का उदाहरण माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की खासियत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति ने पिछले एक दशक में भारत की छवि को पूरी तरह बदल दिया है। अब भारत केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं बल्कि एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता (global leader) के रूप में देखा जाता है। इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के साथ संबंध बनाए रखना बेहद चुनौतीपूर्ण है लेकिन भारत ने यह कर दिखाया है। मोदी की कूटनीति यह साबित करती है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर स्वतंत्र और स्पष्ट रुख अपनाने में सक्षम है।

इजरायल-फिलिस्तीन विवाद में भारत की भूमिका

इजरायल और फिलिस्तीन का विवाद दशकों पुराना है। जहां इजरायल अपनी सुरक्षा और अस्तित्व की बात करता है वहीं फिलिस्तीन अपने अधिकारों और स्वतंत्र राष्ट्र की मांग करता है। इस मुद्दे पर दुनिया दो हिस्सों में बंटी हुई है। भारत इस विवाद में हमेशा ‘two-state solution’ यानी दो अलग-अलग देशों के समाधान का समर्थन करता आया है। भारत का मानना है कि दोनों देशों के बीच शांति तभी कायम हो सकती है जब फिलिस्तीन को उसका अधिकार मिले और इजरायल को उसकी सुरक्षा की गारंटी। यही रुख भारत ने संयुक्त राष्ट्र में मतदान के दौरान भी दिखाया।

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