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H-1B Visa: ट्रंप का नया H-1B वीजा आदेश, भारतीय पेशेवरों के लिए बड़ा झटका, जानिए नई फीस 

H-1B Visa: ट्रंप का नया H-1B वीजा आदेश, भारतीय पेशेवरों के लिए बड़ा झटका, जानिए नई फीस 

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने H-1B वीज़ा धारकों के लिए नया नियम जारी किया। भारतीय पेशेवरों को हर साल 100,000 डॉलर चुकाने होंगे। इससे अमेरिका में प्रवेश रोकने और कंपनियों पर भारी खर्च का खतरा बढ़ गया है।

H-1B Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा होल्डर्स के लिए नया कड़ा आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, मौजूदा और नए H-1B वीजा धारकों को हर साल अपनी कंपनी के जरिए 100,000 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। आदेश के अनुसार, यदि यह राशि समय पर नहीं भरी गई, तो रविवार से उन्हें अमेरिका में प्रवेश नहीं मिलेगा।

डेडलाइन और लागू होने का समय

इस आदेश की डेडलाइन रविवार, 21 सितंबर 2025 को रात 12:01 बजे EDT है। भारतीय समय के अनुसार यह सुबह 9:30 बजे से लागू होगा। नए H-1B वीजा और वीजा एक्सटेंशन के लिए भी यही नियम लागू होगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि गृह सुरक्षा विभाग कुछ विदेशी नागरिकों, किसी खास कंपनी या उद्योग के कर्मचारियों को राष्ट्रीय हित में छूट दे सकता है, यदि यह अमेरिकी सुरक्षा या कल्याण के लिए खतरा नहीं पैदा करता।

H-1B वीजा पर नई फीस का मकसद

ट्रंप प्रशासन ने इस भारी शुल्क को H-1B वीजा प्रोग्राम के 'दुरुपयोग' को रोकने के लिए लागू किया है। इसके तहत कंपनियों को अब हर H-1B वीजा के लिए पहले के 1,500 डॉलर की जगह हर साल 100,000 डॉलर का भुगतान करना होगा। अमेरिकी नागरिकता और एमिग्रेशन सर्विस (USCIS) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2022 और सितंबर 2023 के बीच जारी किए गए लगभग 4 लाख H-1B वीजा में 72 प्रतिशत भारतीय कर्मचारी हैं।

अमेरिका में एंट्री रोकने का खतरा

न्यूयॉर्क स्थित प्रतिष्ठित एमिग्रेशन वकील साइरस मेहता ने बताया कि भारत में मौजूद H-1B वीजा धारक डेडलाइन से पहले अमेरिका नहीं पहुंच पाएंगे। जो वीजा होल्डर्स छुट्टी या व्यवसाय के लिए अमेरिका से बाहर हैं, वे 21 सितंबर के बाद देश में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। इससे कई भारतीय पेशेवर फंस सकते हैं।

कंपनियों की प्रतिक्रिया

कुछ बड़ी टेक कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को सतर्क किया है। माइक्रोसॉफ्ट ने अपने भारतीय कर्मचारियों को सलाह दी है कि वे नियम लागू होने से पहले अमेरिका लौटें। कंपनी ने बताया कि फिलहाल यही एकमात्र सुरक्षित विकल्प है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से अमेरिकी कंपनियों के लिए H-1B कर्मचारियों को रखना महंगा हो जाएगा और कुछ कर्मचारियों की छंटनी भी हो सकती है।

भारतीय पेशेवरों पर असर

इस फैसले का असर मुख्य रूप से भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा क्योंकि वे H-1B वीजा धारकों का बड़ा हिस्सा हैं। अमेरिकी कंपनियां अब केवल अत्यंत जरूरी कर्मचारियों के लिए ही इतनी बड़ी फीस का भुगतान करेंगी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे अमेरिका में हाईली स्किल्ड वर्कर्स की कमी हो सकती है।

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