ट्रंप के H-1B वीजा पर नए फीस नियम के लागू होने से पहले माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में मौजूद अपने H-1B कर्मचारियों को अमेरिका वापस लौटने की चेतावनी दी है। 21 सितंबर के बाद बिना 1 लाख डॉलर फीस के विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इस कदम का भारी असर भारतीय IT पेशेवरों पर पड़ने की संभावना है।
Microsoft’s warning: माइक्रोसॉफ्ट ने अपने भारत यात्रा पर गए H-1B कर्मचारियों को 21 सितंबर से पहले अमेरिका लौटने के लिए चेतावनी दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के नए नियम के तहत, H-1B वीजा धारक किसी भी विदेशी कर्मचारी की एंट्री पर 1 लाख डॉलर का शुल्क चुकाने के बाद ही अमेरिका में प्रवेश कर सकते हैं। इस एडवाइजरी में कहा गया है कि नियम लागू होने से पहले अमेरिका में न लौटने वाले कर्मचारियों को प्रवेश नहीं मिलेगा। भारत के IT सेक्टर पर इस नियम का व्यापक असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि H-1B वीजा धारकों में 70% से अधिक भारतीय हैं।
नए नियम की वजह से बढ़ा तनाव
21 सितंबर, 2025 से लागू होने वाले नियम के तहत अमेरिकी कंपनियों को हर H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर का शुल्क देना होगा। यह शुल्क उन कर्मचारियों पर भी लागू होगा जो अमेरिका से बाहर यात्रा कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट ने अपने कर्मचारियों को आंतरिक रूप से सलाह दी है कि वे इस नई नीति लागू होने से पहले ही अमेरिका लौट आएं। इस समय तक यात्रा पर मौजूद कर्मचारियों के लिए अमेरिका में प्रवेश आसान नहीं रहेगा।
H-1B वीजा धारकों पर पड़ेगा बड़ा असर
H-1B वीजा धारकों में करीब 70 फीसदी भारतीय नागरिक हैं। ऐसे में यह नया नियम भारत के आईटी सेक्टर पर भारी प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस ऐलान से भारतीय तकनीकी कर्मचारियों में अस्थिरता बढ़ सकती है। माइक्रोसॉफ्ट की एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि यात्रा की सीमित अवधि सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती, लेकिन नियम लागू होने से पहले अमेरिका में लौटना ही सुरक्षित विकल्प है।
माइक्रोसॉफ्ट की चेतावनी
माइक्रोसॉफ्ट ने अपने कर्मचारियों से आग्रह किया है कि वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचें। कंपनी ने H-1B कर्मचारियों के परिवार के लिए भी सावधानी बरतने की सलाह दी है। हालांकि इस घोषणा में H-4 वीजा धारकों के लिए सीधे निर्देश नहीं दिए गए हैं, लेकिन कंपनी ने उनके जीवनसाथियों और बच्चों को भी यात्रा से बचने की सलाह दी।
अमेरिकी सरकार ने H-1B वीजा पर नया शुल्क लागू किया है। इसके तहत किसी भी H-1B वीजा होल्डर की अमेरिका में एंट्री या दोबारा प्रवेश के लिए कंपनी को 1 लाख डॉलर का भुगतान करना होगा। यह शुल्क उच्च स्तर की जिम्मेदारियों वाले कर्मचारियों पर भी लागू है। नियम का उद्देश्य अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों की संख्या और वीजा प्रक्रियाओं को नियंत्रित करना बताया जा रहा है।
भारतीय कर्मचारियों की चिंता
भारत में H-1B वीजा धारक कर्मचारियों में इस घोषणा के बाद बेचैनी बढ़ गई है। अधिकांश कर्मचारी जो भारत यात्रा पर हैं, अब 21 सितंबर तक अमेरिका लौटने की कोशिश कर रहे हैं। कई कर्मचारियों के लिए यह अचानक यात्रा बदलना और तैयारी करना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, इस कदम से आईटी कंपनियों के संचालन पर अस्थायी प्रभाव पड़ सकता है।
अमेरिकी कंपनियों का रुख
माइक्रोसॉफ्ट और अन्य अमेरिकी आईटी दिग्गज कंपनियों ने नए नियम को लेकर अपने कर्मचारियों को आंतरिक रूप से तैयार करने की कोशिश की है। कंपनियों का मानना है कि नियम लागू होने से पहले कर्मचारियों को अमेरिका लौटाना उनके लिए सबसे सुरक्षित विकल्प है। साथ ही कंपनियां यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि उच्च जिम्मेदारी वाले कर्मचारियों के लिए आवश्यक शुल्क का भुगतान किया जा सके।