केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के जांबाजों से बातचीत में कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों के मामले में हमेशा भाग्यशाली नहीं रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमने इसे नियति नहीं माना, बल्कि अपनी स्वयं की रणनीति सुरक्षा सुनिश्चित की है।
नई दिल्ली: देश की सुरक्षा केवल सीमा पर लड़े गए युद्ध से तय नहीं होती, बल्कि यह पूरे देश के लोगों के संकल्प और एकजुटता से तय होती है। यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के युद्ध के दिग्गजों से बातचीत के दौरान कही। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के जांबाजों के साथ हुई इस बातचीत में रक्षा मंत्री ने कहा, भारत अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों के मामले में भाग्यशाली नहीं रहा है... लेकिन हमने इसे नियति नहीं माना है। हमने अपनी नियति स्वयं तय की है... इसका एक उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर है।
देश की सुरक्षा सिर्फ युद्ध में नहीं, संकल्प में है - रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा केवल सीमाओं पर लड़े गए युद्ध से तय नहीं होती, बल्कि पूरा राष्ट्र, उसकी जनता, जवान और किसान मिलकर देश की सुरक्षा और विकास में योगदान देते हैं। उन्होंने 1965 के युद्ध के जांबाजों की बहादुरी और साहस को याद करते हुए कहा, “कोई भी युद्ध केवल युद्ध के मैदान में नहीं लड़ा जाता। विजय राष्ट्र के सामूहिक संकल्प का परिणाम होती है। उस कठिन समय में देश ने लाल बहादुर शास्त्री जी के दृढ़ नेतृत्व में चुनौतियों का सामना किया।
उन्होंने न केवल निर्णायक राजनीतिक नेतृत्व दिया बल्कि पूरे देश का मनोबल भी ऊंचाइयों तक पहुँचाया। उनके दिए गए नारे 'जय जवान, जय किसान' में वीर जवानों और अन्नदाताओं का गौरव दोनों शामिल है।”
पहलगाम हमलों और ऑपरेशन सिंदूर
राजनाथ सिंह ने पहलगाम हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि उस भयावह घटना को भूल पाना संभव नहीं है। इस हमले में 26 लोग शहीद हुए थे। उन्होंने कहा, “जब भी हम उन्हें याद करते हैं, मन क्रोध और गुस्से से भर जाता है। लेकिन उस घटना ने हमारे मनोबल को नहीं तोड़ा। उन्होंने आगे बताया कि प्रधानमंत्री ने आतंकवादियों को ऐसा सबक सिखाने का संकल्प लिया जिसकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की होगी। इस पर भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया।
ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया। इस सैन्य कार्रवाई में चार दिनों तक भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सेना के बीच सहमति से समाप्त हुईं। राजनाथ सिंह ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया कि भारत का सैन्य प्रतिरोध कितना मजबूत और संगठित है। उन्होंने कहा, “हमारी टीम ने जिस समन्वय और साहस का प्रदर्शन किया, वह दिखाता है कि जीत अब कोई अपवाद नहीं, बल्कि आदत बन गई है। इसे हमेशा बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।”
पड़ोसी देशों के साथ संबंध
रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर देश की अर्थव्यवस्था और विकास में जवानों और किसानों की अहम भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उनका कहना था कि ‘जय जवान, जय किसान’ केवल एक नारा नहीं बल्कि देश के समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक है। जवानों की बहादुरी और किसानों की मेहनत ही देश को मजबूत बनाती है।
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत हमेशा अपने पड़ोसियों के मामले में भाग्यशाली नहीं रहा है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कठिनाइयों और विरोध के बावजूद भारत ने हमेशा अपनी रणनीति, संकल्प और साहस के माध्यम से देश की सुरक्षा सुनिश्चित की है।