भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर छठे राउंड की बातचीत भी बेनतीजा रही। अमेरिका, भारत की रूस से तेल खरीद को समझौते में शामिल करना चाहता है, जबकि भारत अतिरिक्त टैरिफ हटाने पर अड़ा है। इस असामान्य मांग से डील पर पेंच फंस गया है और समाधान फिलहाल मुश्किल दिख रहा है।
US Trade Deal: नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के बीच छठे राउंड की ट्रेड वार्ता में गतिरोध बना रहा। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी डेलिगेशन ने बातचीत में भारत की रूस से तेल खरीद का मुद्दा उठाया, जबकि भारत ने अतिरिक्त 25% टैक्स हटाने की मांग की। सामान्यतः किसी तीसरे देश से जुड़े रिश्ते बाइलेटरल ट्रेड टॉक्स का हिस्सा नहीं होते, इसलिए अमेरिका की यह शर्त असामान्य मानी जा रही है। भारत ने रूसी तेल को ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम बताते हुए कोई रोक लगाने से इनकार किया। नतीजतन, ट्रेड डील फिलहाल अटकी हुई है।
ट्रेड डील पर अटका मामला
पिछले कई महीनों से भारत और अमेरिका के बीच एक बाइलेटरल ट्रेड डील को लेकर बातचीत चल रही है। शुरुआत में दोनों देशों ने इस साल के अंत तक समझौते को फाइनल करने का वादा किया था। लेकिन हालात बदलते गए और अब यह बातचीत हर राउंड के बाद और उलझती दिखाई दे रही है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीद पर अपना रुख बदले, जबकि भारत इसे अपनी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ा मामला मानता है।
अमेरिका की नई शर्त
ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका चाहता है कि भारत के साथ होने वाली ट्रेड डील में रूस से तेल आयात का मुद्दा शामिल हो। आमतौर पर किसी तीसरे देश से जुड़ा मामला बाइलेटरल ट्रेड टॉक्स का हिस्सा नहीं होता। यही वजह है कि यह मांग भारतीय पक्ष को चौंकाने वाली लगी है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी डेलिगेशन ने हाल ही में नई दिल्ली में हुई एक बैठक में इस मुद्दे को उठाया।
अमेरिका की ओर से इस बातचीत की अगुवाई असिस्टेंट ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच ने की। भारतीय अधिकारियों के साथ हुई इस मीटिंग में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। हालांकि दोनों देशों ने आधिकारिक तौर पर इस पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया है। अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस ने भी इस बारे में कोई बयान नहीं दिया।
भारत की कड़ी आपत्ति
सूत्र बताते हैं कि भारत ने इस मीटिंग में अपनी स्थिति साफ कर दी। भारत ने कहा कि रूस से ऊर्जा खरीद उसकी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी है और इस पर अतिरिक्त 25% टैक्स पूरी तरह अनुचित है। भारत ने मांग की कि अमेरिका इस अतिरिक्त टैक्स को हटाए। भारत सरकार ने इसे न केवल अनफेयर बताया बल्कि कहा कि यह कदम उसकी ऊर्जा सुरक्षा के खिलाफ है।
भारत दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता देशों में से एक है। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, ईंधन की मांग भी लगातार बढ़ रही है। खासकर मानसून के बाद फ्यूल डिमांड तेजी से बढ़ जाती है। यही वजह है कि भारत के रिफाइनर्स रूस से क्रूड ऑयल का आयात रोकने का कोई इरादा नहीं रखते। सरकार ने भी ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है। रूस से मिलने वाला तेल न सिर्फ सस्ता है बल्कि भारत की जरूरतों के हिसाब से भी फायदेमंद है।
अमेरिका की असली चिंता
विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका की चिंता सिर्फ ट्रेड डील तक सीमित नहीं है। असल में वॉशिंगटन नहीं चाहता कि भारत और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार बढ़े। यह मुद्दा अमेरिका और रूस के राजनीतिक रिश्तों से भी जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि अमेरिका इस विषय को लगातार बातचीत का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रहा है।
डेयरी और कृषि सेक्टर भी विवाद में
रूस से तेल आयात का मुद्दा ही अकेला विवाद नहीं है। अमेरिका भारत के डेयरी और एग्रीकल्चर सेक्टर्स में ज्यादा एक्सेस चाहता है। लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है। भारत का मानना है कि अगर यह सेक्टर खुलते हैं तो घरेलू किसान और उद्योग प्रभावित होंगे। यही वजह है कि भारत इस पर सहमत नहीं हो पा रहा।
अब तक छह राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन हर बार कोई नया पेंच सामने आ जाता है। पिछली मीटिंग के बाद दोनों पक्षों ने कहा कि चर्चा सकारात्मक रही और कई मुद्दों पर विचार किया गया। हालांकि असलियत यह है कि ट्रेड डील की दिशा फिलहाल साफ नहीं है। अमेरिका की शर्तें और भारत की मांगें आपस में टकरा रही हैं।