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सूरत में 13 वर्षीय छात्र ने नौवीं मंजिल से कूदकर की आत्महत्या, जानिए पूरा मामला 

सूरत में 13 वर्षीय छात्र ने नौवीं मंजिल से कूदकर की आत्महत्या, जानिए पूरा मामला 

सूरत के उधना क्षेत्र में 13 वर्षीय छात्र ने परीक्षा के दबाव और माता-पिता द्वारा डांटे जाने पर नौवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर दी। सीसीटीवी में छात्र को छत पर जाते हुए कैद किया गया।

सूरत: उधना क्षेत्र में सोमवार को एक 13 वर्षीय छात्र ने शुभा रेजीडेंसी की नौवीं मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। मृतक छात्र नौवीं कक्षा का छात्र था और अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। घटना के समय उसकी परीक्षा चल रही थी। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, छात्र ने यह कदम परिवार द्वारा पढ़ाई को लेकर डांटे जाने के बाद उठाया।

स्थानीय लोगों ने छात्र को रेलिंग पर बैठा देखा और उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन वह किसी की नहीं सुन रहा था। उसके इस कदम ने पूरे इलाके में शोक और सदमे की स्थिति पैदा कर दी। सीसीटीवी फुटेज में छात्र को लिफ्ट से बिल्डिंग की छत पर जाते हुए कैद किया गया है।

बेटे की मौत से परिवार में मातम

छात्र अपने माता-पिता के साथ प्रभुनगर सोसाइटी में रहता था। उसके माता-पिता के अनुसार, वह एक होशियार और नटखट बच्चा था। इकलौते बेटे की मौत के बाद परिवार में शोक का माहौल है। स्थानीय पड़ोसियों और शिक्षकों ने भी घटना को अत्यंत दुखद बताया।

पुलिस ने कहा कि पहले भी छात्र डांटने पर कई घंटों के लिए घर से बाहर चला जाता था, लेकिन इस बार वह वापस मृत अवस्था में लौटा। यह घटना माता-पिता और समाज के लिए एक चेतावनी बन गई है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्थिति पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।

परीक्षाओं का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य का असर

छात्र के आत्महत्या के पीछे परीक्षाओं का दबाव और घर में डांटना मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, किशोरावस्था में बच्चों की मानसिक स्थिति बहुत संवेदनशील होती है। किसी भी तनावपूर्ण स्थिति में बच्चों का ध्यान हटाना और उनकी भावनाओं को समझना जरूरी होता है।

इस तरह की घटनाएं संकेत देती हैं कि माता-पिता को बच्चों के साथ संवादात्मक और सहायक व्यवहार अपनाना चाहिए, ताकि वे तनाव में अपने निर्णयों से ऐसा कदम न उठाएं।

सूरत में दूसरी आत्महत्या की घटना

इस घटना से पहले सूरत के रांदेर इलाके में भी 67 वर्षीय महिला भानुबेन भवति सेलर ने आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने केरोसिन डालकर खुद को आग लगा ली। भानुबेन अपने बेटे और चार बेटियों के साथ रहती थीं और चार साल पहले आंशिक रूप से लकवा मारने के कारण उनका आधा शरीर निष्क्रिय हो गया था। यह घटनाएं समाज में मानसिक स्वास्थ्य और घरेलू तनाव के प्रति सजग होने की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।

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