भारत के निजी और सरकारी बैंकों में सेविंग अकाउंट के लिए मिनिमम बैलेंस नियम बदल गए हैं। HDFC और ICICI जैसे प्राइवेट बैंक अब ग्राहकों से उच्च मिनिमम बैलेंस रखने की उम्मीद करते हैं, जबकि SBI, PNB, इंडियन बैंक और केनरा बैंक ने जीरो बैलेंस की सुविधा दी है। नियमों के उल्लंघन पर प्राइवेट बैंकों में पेनल्टी लग सकती है।
नई दिल्ली: HDFC और ICICI बैंक ने अपने सेविंग अकाउंट के मिनिमम एवरेज बैलेंस (MAB) नियमों में बदलाव किए हैं। ICICI बैंक में मेट्रो व अर्बन क्षेत्रों के ग्राहकों को अब ₹50,000 एवरेज बैलेंस रखना होगा, जबकि HDFC बैंक में यह ₹25,000 हो गया है। नियम न मानने पर बैंक पेनल्टी वसूल सकते हैं। वहीं, सरकारी बैंक जैसे SBI, PNB, इंडियन बैंक और केनरा बैंक ने मिनिमम बैलेंस की शर्त हटा दी है, जिससे ग्राहक बिना किसी जुर्माने के जीरो बैलेंस अकाउंट चला सकते हैं। यह बदलाव ग्राहकों की सुविधा और सरल बैंकिंग को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
सरकारी बैंकों में जीरो बैलेंस की सुविधा
सरकारी बैंकों जैसे SBI, PNB, और बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने सामान्य सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की शर्त को हटा दिया है। भारतीय स्टेट बैंक ने यह नियम लगभग पांच साल पहले ही खत्म कर दिया था। इसके बाद केनरा बैंक और इंडियन बैंक ने जून और जुलाई 2025 से पूरी तरह से मिनिमम बैलेंस की शर्त समाप्त कर दी है।
इसका मतलब यह है कि अब ग्राहक बिना किसी पेनल्टी के अपने अकाउंट में जीरो बैलेंस रख सकते हैं। इससे ग्राहकों पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव नहीं पड़ता और छोटे निवेशक या नए अकाउंट धारक आसानी से बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
सरकारी बैंकों में यह कदम ग्राहक-केंद्रित नीति का हिस्सा माना जा रहा है। इससे न केवल अकाउंट खोलने में आसानी होती है, बल्कि लोग नियमित बचत की आदत भी विकसित कर सकते हैं।
प्राइवेट बैंकों की स्थिति
वहीं, प्राइवेट बैंकों में मिनिमम बैलेंस का नियम अभी भी लागू है। उदाहरण के लिए, एक्सिस बैंक में सेमी-अर्बन इलाकों के लिए ₹12,000 एवरेज बैलेंस रखना जरूरी है। यदि यह राशि पूरी नहीं होती, तो ग्राहक पर 6% तक पेनल्टी लग सकती है, लेकिन अधिकतम पेनल्टी ₹600 तक सीमित रहती है।
इसी तरह, HDFC बैंक में अर्बन इलाकों के लिए और ICICI बैंक में कुछ विशेष अकाउंट्स के लिए मिनिमम बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य है। प्राइवेट बैंक आमतौर पर नए अकाउंट धारकों पर यह नियम लागू करते हैं, जबकि पुराने अकाउंट धारकों पर पुराने नियम ही चलते रहते हैं।
मिनिमम एवरेज बैलेंस (MAB) क्या है?
MAB वह निर्धारित राशि है, जो हर महीने ग्राहक के अकाउंट में बनी रहनी चाहिए। यदि ग्राहक यह राशि नहीं रखते हैं, तो बैंक पेनल्टी वसूल सकता है।
MAB का उद्देश्य बैंक के ऑपरेशन खर्च को कवर करना और अकाउंट को सुचारू रूप से मैनेज करना है। यह बैंक और अकाउंट के प्रकार पर निर्भर करता है।
पेनल्टी और सावधानी
प्राइवेट बैंकों में मिनिमम बैलेंस न रखने पर जुर्माने की राशि अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए:
- HDFC बैंक: अर्बन इलाकों में ₹600 तक
- ICICI बैंक: कुछ अकाउंट्स में ₹50,000 तक
इसलिए नए अकाउंट खोलते समय यह जरूरी है कि ग्राहक बैंक के MAB नियमों को अच्छे से समझ लें। इससे न केवल अनावश्यक पेनल्टी से बचा जा सकता है, बल्कि अकाउंट मैनेजमेंट भी सरल और प्रभावी हो जाता है।