सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन क्रैकर बनाने की अनुमति दी, लेकिन बिक्री पर रोक रहेगी। कोर्ट ने कहा कि सभी हितधारकों से चर्चा कर संतुलित निर्णय लिया जाए।
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखों के निर्माण पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा करने का आदेश केंद्र सरकार को दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर निर्णय लेने से पहले सभी हितधारकों (stakeholders) से बातचीत करना आवश्यक है, ताकि संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जा सके। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजनारिया की पीठ ने इस दिशा में निर्देश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि निर्माण की अनुमति देना रोजगार और उद्योग के लिए लाभकारी हो सकता है, लेकिन पर्यावरण और जनता की सुरक्षा का ध्यान रखना भी अनिवार्य है।
हरित पटाखों के निर्माण की अनुमति, लेकिन बिक्री पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने एनईईआरआई (NEERI) और पीईएसओ (PESO) द्वारा प्रमाणित ग्रीन क्रैकर (eco-friendly crackers) बनाने वाले निर्माताओं को दिल्ली-एनसीआर में उत्पादन की अनुमति दी है। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि इन पटाखों की बिक्री एनसीआर में नहीं होगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पर्यावरण पर कोई अतिरिक्त दबाव न पड़े और लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सभी पक्षों से चर्चा कर निर्णय लें।
विवाद और पुराने आदेशों का टकराव
सुनवाई के दौरान कुछ पक्षों ने तर्क दिया कि 3 अप्रैल को कोर्ट के आदेश ने, जिसमें पटाखों पर प्रतिबंध पूरे साल लागू कर दिया गया था, 2018 के अर्जुन गोपाल मामले के फैसले से टकराव पैदा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर फिलहाल विस्तार से विचार करने से इनकार किया और कहा कि अब समय संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का है। कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वे मंत्रालय को निर्देश दें कि सभी हितधारकों की राय लेने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाए।
वकीलों की दलीलें: पूर्ण प्रतिबंध या नियंत्रण
एमसी मेहता मामले में वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की वकालत की। उनका कहना था कि निर्माण की अनुमति देने से बिक्री और उपयोग स्वतः शुरू हो जाएगा, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वहीं, निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह और के. परमेश्वर ने कड़े नियमों के तहत उत्पादन की अनुमति देने की मांग की। उनका तर्क था कि अगर मानक पूरे किए जा रहे हैं तो निर्माण में समस्या नहीं होनी चाहिए और उत्पादन मात्रा की जानकारी सार्वजनिक रूप से घोषित की जा सकती है।
कोर्ट का दृष्टिकोण: संतुलन बनाना जरूरी
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान पूछा कि यदि सभी मानक पूरे किए जा रहे हैं तो निर्माण की अनुमति देने में समस्या क्या है। उन्होंने कहा कि यह रोजगार और उद्योग दोनों के लिए लाभकारी हो सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अत्यधिक आदेश और पूर्ण प्रतिबंध जमीनी स्तर पर पालन में मुश्किल पैदा कर सकते हैं। इसलिए फिलहाल निर्माण की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन बिक्री पर रोक रहेगी, ताकि पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा का संतुलन बना रहे।
पर्यावरण और रोजगार के बीच संतुलन
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ग्रीन पटाखों के निर्माण से रोजगार को बढ़ावा मिलेगा, वहीं बिक्री पर रोक के कारण पर्यावरण पर दबाव कम रहेगा। अदालत ने निर्देश दिया कि सरकार सभी हितधारकों से चर्चा कर उचित दिशा-निर्देश जारी करे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पटाखों का निर्माण जिम्मेदारी के साथ हो और किसी भी प्रकार का प्रदूषण या स्वास्थ्य जोखिम न्यूनतम हो।