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टाटा-महिंद्रा का नया मिशन: अब भारत नहीं, इस देश में बनेंगी कारें

टाटा-महिंद्रा का नया मिशन: अब भारत नहीं, इस देश में बनेंगी कारें

भारतीय ऑटो कंपनियां अब साउथ अफ्रीका में गाड़ियां बनाने की तैयारी में हैं। महिंद्रा SKD से CKD मैन्युफैक्चरिंग मॉडल पर जाएगी और टाटा मोटर्स मोटस होल्डिंग्स के साथ साझेदारी में बाजार में वापसी करेगी। इस कदम से स्थानीय उत्पादन, निर्यात और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

Automobile Industry: भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियां टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा अब दक्षिण अफ्रीका में गाड़ियों का स्थानीय उत्पादन शुरू करने जा रही हैं। महिंद्रा अपने मौजूदा सेमी-नॉक्ड डाउन (SKD) मॉडल को अपग्रेड कर कंप्लीट-नॉक्ड डाउन (CKD) मैन्युफैक्चरिंग में बदलेगी और इलेक्ट्रिक वाहनों की असेंबली यूनिट लगाने की संभावनाएं तलाश रही है। वहीं, टाटा मोटर्स 2017 में बंद हुए निर्यात के बाद फिर से साउथ अफ्रीकी बाजार में वापसी कर रही है और इसके लिए उसने मोटस होल्डिंग्स लिमिटेड के साथ साझेदारी की है। यह कदम दक्षिण अफ्रीका की सरकार की नई ऑटो रणनीति और क्लीन मोबिलिटी नीतियों के अनुरूप है।

दक्षिण अफ्रीका बनेगा नया मैन्युफैक्चरिंग हब

दक्षिण अफ्रीका लंबे समय से अफ्रीकी महाद्वीप का औद्योगिक केंद्र रहा है। अब यह देश अपनी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को फिर से मजबूत करने के लिए विदेशी निवेश को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। भारत की कंपनियां इस अवसर का पूरा फायदा उठाना चाहती हैं।

दक्षिण अफ्रीका के ट्रेड, इंडस्ट्री और कॉम्पिटिशन मंत्री पार्क्स टाउ ने कहा कि भारतीय और चीनी कंपनियों ने देश में निवेश बढ़ाने की गहरी रुचि दिखाई है। उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका सरकार एक नई रणनीति पर काम कर रही है, जिसके तहत वह ऑटोमोबाइल सेक्टर को फिर से मजबूती देना चाहती है। यह रणनीति सस्ते आयात, कमजोर निर्यात मांग और ढांचागत दिक्कतों से जूझ रहे उद्योग को नया जीवन देने पर केंद्रित है।

भारतीय कंपनियों की बड़ी योजना

भारतीय कंपनियां दक्षिण अफ्रीका में अपने मौजूदा असेंबली यूनिट्स को पूरी तरह से विकसित मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स में बदलने की योजना बना रही हैं। इस पहल के तहत न केवल स्थानीय उत्पादन बढ़ाया जाएगा बल्कि वहां से वाहनों का निर्यात भी किया जाएगा।

महिंद्रा एंड महिंद्रा ने पुष्टि की है कि वह अपने उत्पादन मॉडल को एसकेडी (सेमी-नॉक्ड डाउन) से सीकेडी (कंप्लीट-नॉक्ड डाउन) मॉडल में बदलने जा रही है। इसका मतलब है कि अब वाहनों का निर्माण पूरी तरह से स्थानीय स्तर पर किया जाएगा। महिंद्रा की योजना है कि वह डर्बन में इलेक्ट्रिक वाहन असेंबली यूनिट भी स्थापित करे। यह कदम दक्षिण अफ्रीका की क्लीन मोबिलिटी नीति के अनुरूप है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

टाटा मोटर्स की वापसी की तैयारी

टाटा मोटर्स ने 2017 में अफ्रीकी बाजार में निर्यात बंद कर दिया था, लेकिन अब कंपनी एक बार फिर वापसी की तैयारी में है। इस बार टाटा मोटर्स दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी पैसेंजर व्हीकल रिटेलर कंपनी मोटस होल्डिंग्स लिमिटेड के साथ साझेदारी कर रही है।

इस सहयोग से टाटा मोटर्स को अपने वाहनों की बिक्री और वितरण को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी। कंपनी का उद्देश्य है कि वह दक्षिण अफ्रीका में अपनी ब्रांड उपस्थिति को फिर से स्थापित करे और अफ्रीका के अन्य देशों में भी अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ाए।

सस्टेनेबल मोबिलिटी पर फोकस

अमेरिका और यूरोपीय संघ की नई व्यापार नीतियों से दक्षिण अफ्रीका के ऑटो निर्यात को झटका लगा है। यूरोपीय संघ जहां पारंपरिक इंजन (आईसीई) वाहनों पर सख्त प्रतिबंध लगाने की दिशा में बढ़ रहा है, वहीं अमेरिका ने भी नई टैरिफ नीतियां लागू की हैं।

इन परिस्थितियों में दक्षिण अफ्रीका अब नई ऊर्जा वाहनों (एनईवी) और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर जोर दे रहा है। भारतीय कंपनियां भी इस दिशा में निवेश बढ़ा रही हैं ताकि आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को पूरा किया जा सके।

साझेदारी और नए निवेश के मौके

मंत्री पार्क्स टाउ ने कहा कि भारतीय और चीनी निवेशक दक्षिण अफ्रीका की मौजूदा ऑटो कंपनियों के साथ साझेदारी करने में रुचि दिखा रहे हैं। वे या तो मौजूदा उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल करना चाहते हैं या नए कारखाने लगाना चाहते हैं।

महिंद्रा, टाटा और अन्य भारतीय कंपनियां इस साझेदारी के जरिये न केवल स्थानीय उत्पादन बढ़ाना चाहती हैं बल्कि रोजगार सृजन और तकनीकी सहयोग के नए अवसर भी पैदा करना चाहती हैं।

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