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Trump को बड़ा झटका, पोर्टलैंड में सेना की तैनाती पर कोर्ट ने लगाई रोक, जानें वजह

Trump को बड़ा झटका, पोर्टलैंड में सेना की तैनाती पर कोर्ट ने लगाई रोक, जानें वजह

पोर्टलैंड की फेडरल कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन की ओरेगन नेशनल गार्ड तैनाती योजना पर अस्थायी रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि पोर्टलैंड में कोई गंभीर खतरा नहीं है। आदेश 18 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा।

Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कानूनी मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है। पोर्टलैंड की फेडरल कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन की योजना पर अस्थायी रोक लगा दी है, जिसमें वे ओरेगन नेशनल गार्ड के 200 सदस्यों को पोर्टलैंड में तैनात करना चाहते थे। यह आदेश जज करिन इमरगुट ने शनिवार को सुनाया, और यह कम से कम 18 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा।

ट्रंप की योजना: पोर्टलैंड में सैन्य बल तैनात करना

राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में पोर्टलैंड को 'युद्धग्रस्त शहर' घोषित किया था और कहा था कि वहां घरों में आग लग रही है और अराजकता फैली हुई है। इसी का हवाला देते हुए उन्होंने ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट) सुविधाओं की सुरक्षा के लिए सैन्य बल भेजने का निर्णय लिया। ट्रंप का मानना था कि सैनिक तैनात करने से कानून-व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी।

ट्रंप की सोशल मीडिया घोषणा

27 सितंबर को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ (Truth) पर पोस्ट कर कहा कि वे ओरेगन गवर्नर टिना कोटेक से बात कर चुके हैं और सैनिक भेजने का फैसला कर लिया है। उन्होंने इसे पोर्टलैंड में सुरक्षा बनाए रखने का उपाय बताया। हालांकि, राज्य और शहर के अधिकारी इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित कदम मानते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाने लगे।

कानूनी लड़ाई की शुरुआत

ओरेगन अटॉर्नी जनरल डैन रेफील्ड ने 28 सितंबर को मुकदमा दायर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप का कदम असंवैधानिक है और इसे रोकने की जरूरत है। वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि पोर्टलैंड में हाल के विरोध प्रदर्शन छोटे, शांतिपूर्ण और सीमित हैं, और यह 2020 के बड़े विरोधों से बिल्कुल अलग स्थिति है।

संविधान के 10वें संशोधन का उल्लंघन

ओरेगन की ओर से दायर मुकदमे में यह भी कहा गया कि ट्रंप केवल राजनीतिक रूप से असहमत डेमोक्रेटिक शहरों को निशाना बना रहे हैं। इस तरह का कदम अमेरिकी संविधान के 10वें संशोधन का उल्लंघन है, जो राज्यों के अधिकारों को सुरक्षित करता है। वकीलों का कहना था कि राष्ट्रपति को सैनिक तैनात करने का अधिकार है, लेकिन इसका दुरुपयोग करना और केवल राजनीतिक विरोधियों पर यह शक्ति लागू करना संविधान के खिलाफ है।

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