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UNSC में पाकिस्तान पर चौतरफा वार, चीन ने भी किया किनारा

UNSC में पाकिस्तान की फजीहत, पहलगाम हमले को लेकर अमेरिका-फ्रांस ने घेरा, चीन ने भी साथ नहीं दिया। भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन, पाकिस्तान का नैरेटिव खारिज।

UNSC Members: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक क्लोज-डोर मीटिंग बुलाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहानुभूति हासिल करने की कोशिश की। पाकिस्तान की योजना थी कि वह खुद को पीड़ित बताकर भारत पर वैश्विक दबाव बनाएगा। लेकिन यह प्रयास उलटा साबित हुआ, क्योंकि बैठक में पाकिस्तान की जमकर फजीहत हुई और भारत की स्थिति और अधिक मजबूत हो गई।

UNSC के स्थायी सदस्यों ने पाकिस्तान को घेरा

बैठक के दौरान अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन जैसे स्थायी सदस्यों ने पाकिस्तान से तीखे सवाल किए। इन देशों ने विशेष रूप से पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों की संलिप्तता पर सवाल उठाया और पाकिस्तान की भूमिका को लेकर चिंता जाहिर की।

चीन ने भी नहीं दिया समर्थन

पाकिस्तान को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उसका करीबी माने जाने वाला देश चीन भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध गया। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि चीन कम से कम उसका पक्ष लेगा, लेकिन चीन ने कोई समर्थन नहीं दिया, जिससे पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर हो गई।

पाकिस्तान का झूठा प्रचार बेनकाब

बैठक के बाद पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हुई है और पाकिस्तान ने जो उद्देश्य लेकर बैठक बुलाई थी, वह पूरा हो गया। लेकिन विश्व मीडिया और अंतरराष्ट्रीय सूत्रों के अनुसार, बैठक में पाकिस्तान के झूठे नैरेटिव और 'फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन' के दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया गया।

किसी भी देश ने प्रस्ताव या समर्थन नहीं दिया

बैठक के बाद किसी भी देश की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया और न ही पाकिस्तान के पक्ष में कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया। केवल पाकिस्तान ही बैठक के परिणाम को तोड़-मरोड़कर पेश करता रहा।

परमाणु धमकी पर भी उठा सवाल

बैठक में पाकिस्तान द्वारा हाल ही में किए गए मिसाइल परीक्षण और परमाणु हथियारों की धमकी पर भी सवाल उठाए गए। इसे कई देशों ने क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक और भड़काऊ कदम बताया।

भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन

बैठक में अधिकांश देशों ने यह स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान का मुद्दा द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं है। इससे भारत की कूटनीतिक स्थिति और अधिक मजबूत हो गई।

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