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वंडर गर्ल दिव्या देशमुख का कमाल: 7 साल की उम्र में रखा शतरंज की दुनिया में कदम, बनीं FIDE वर्ल्ड कप चैंपियन

वंडर गर्ल दिव्या देशमुख का कमाल: 7 साल की उम्र में रखा शतरंज की दुनिया में कदम, बनीं FIDE वर्ल्ड कप चैंपियन

दिव्या देशमुख की यह उपलब्धि भारतीय शतरंज इतिहास में एक बेहद प्रेरणादायक और गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ती है। बचपन से ही उनकी प्रतिभा और आत्मविश्वास ने उन्हें खास बना दिया था।

एंटरटेनमेंट: भारत की युवा शतरंज सनसनी दिव्या देशमुख ने शतरंज की दुनिया में एक नया इतिहास रच दिया है। महज 19 वर्ष की उम्र में दिव्या ने न केवल FIDE विमेंस वर्ल्ड कप 2025 का खिताब अपने नाम किया, बल्कि वह भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर (GM) और कुल 88वीं भारतीय ग्रैंडमास्टर भी बन गईं। यह उपलब्धि भारतीय शतरंज के वर्तमान स्वर्ण युग की सबसे चमकदार उपलब्धियों में से एक है।

7 साल की उम्र से शतरंज की दुनिया में कदम

नागपुर की रहने वाली दिव्या देशमुख ने मात्र 7 वर्ष की उम्र में शतरंज की बिसात पर अपने कदम रखे थे। तब से लेकर अब तक उन्होंने एक के बाद एक ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। 11 साल की उम्र में एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या वह किसी खिलाड़ी से डरती हैं, तो दिव्या ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “शायद नहीं।” यह आत्मविश्वास ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

FIDE विमेंस वर्ल्ड कप 2025 में ऐतिहासिक जीत

दिव्या ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के फाइनल में भारत की ही अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हंपी को हराया। फाइनल के दोनों क्लासिकल मुकाबले ड्रॉ रहे, जिसके बाद टाईब्रेकर में फैसला हुआ। दिव्या ने सफेद मोहरों से पहला रैपिड मुकाबला ड्रॉ खेला और फिर दूसरे मुकाबले में काले मोहरों से जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया।

हंपी जैसे दिग्गज खिलाड़ी के सामने दिव्या ने धैर्य और आत्मविश्वास के साथ मुकाबला किया और हर चाल पर बढ़त बनाई। इस जीत के साथ उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2026 के लिए भी क्वालिफाई कर लिया, जहां से वे विश्व चैंपियन बनने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ चुकी हैं।

धोनी जैसी शांत: कोच का बयान

दिव्या के पूर्व कोच श्रीनाथ नारायणन ने उनके बारे में कहा: दिव्या एक आक्रामक लेकिन संतुलित खिलाड़ी हैं। वह क्लासिकल, रैपिड और ब्लिट्ज तीनों फॉर्मेट्स में समान रूप से दक्ष हैं। मुश्किल हालात में वह और भी परिपक्व होकर खेलती हैं। उनका मानसिक संतुलन महेंद्र सिंह धोनी जैसा है — शांत और निर्णायक।

दिव्या देशमुख का करियर ग्राफ

  • 2012: अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप जीती
  • 2013: अंडर-8 एशियन चैंपियनशिप बनीं
  • 2014: अजय रहते हुए अंडर-10 वर्ल्ड चैंपियन बनीं
  • 2020: फिडे ऑनलाइन ओलंपियाड में गोल्ड मेडल
  • 2022: चेस ओलंपियाड में व्यक्तिगत वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया
  • 2023: इंटरनेशनल मास्टर (IM) बनीं
  • 2023: एशियन चेस चैंपियनशिप जीती
  • 2023: टाटा स्टील चेस के रैपिड सेक्शन में पहले स्थान पर रहीं दिव्या
  • 2024: शारजाह चेस चैलेंजर्स टूर्नामेंट जीता
  • 2024: वर्ल्ड अंडर-20 चेस चैंपियन बनीं
  • 2024: 45वें चेस ओलंपियाड में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल दिलाने में मदद
  • 2024: चेस ओलंपियाड में बोर्ड-3 पर अपने प्रदर्शन के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता
  • 2025: वर्ल्ड रैपिड एंड ब्लिट्ज टीम चैंपियनशिप में रैपिड में सिल्वर और ब्लिट्ज में ब्रॉन्ज
  • 2025: फिडे विमेंस वर्ल्ड कप विजेता और ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया

हालांकि दिव्या अभी विमेंस वर्ल्ड चैंपियन नहीं बनी हैं, लेकिन FIDE वर्ल्ड कप जीतकर उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2026 के लिए क्वालिफाई कर लिया है। इस टूर्नामेंट की विजेता को मौजूदा विश्व चैंपियन जू वेंजुन (चीन) को चुनौती देने का मौका मिलेगा।

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