आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, ईएमआई पर राहत नहीं; जीडीपी वृद्धि 7.2% पर स्थिर

आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, ईएमआई पर राहत नहीं; जीडीपी वृद्धि 7.2% पर स्थिर
Last Updated: 5 घंटा पहले

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति को वित्तीय वर्ष 2025 में 7.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि की उम्मीद; 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट अपरिवर्तित रखने का समर्थन किया

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक का निर्णय घोषित किया है। आरबीआई ने लगातार 10वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति के 6 सदस्यों में से 5 ने बेंचमार्क ब्याज दरों को बरकरार रखने पर सहमति जताई है।

वर्तमान में रेपो रेट 6.5% है। उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी 6.7% बढ़ी है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में मंदी के संकेत भी मिल रहे हैं।

जीडीपी ग्रोथ 7.2% पर बरकरार

आरबीआई के मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों को उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 2025 में देश की इकोनॉमी 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। हालांकि, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ टारगेट को 7.2% से घटाकर 7% कर दिया गया है। दूसरी ओर, तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ टारगेट को 7.3% से बढ़ाकर 7.4% कर दिया गया है।

इसके अलावा, जारी वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही के लिए 7.4% और वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए 7.3% का अनुमान लगाया गया है। बता दें कि मौद्रिक नीति समिति की बैठक ने अगस्त 2024 में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था।

ब्रोकरेज नोमुरा ने वित्त वर्ष 25 के लिए जीडीपी वृद्धि का लगाया अनुमान

वित्त वर्ष 24 में देश की इकोनॉमी 8.2% बढ़ी, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था थी। हालांकि, वित्त वर्ष 25 की अप्रैल-जून अवधि में इसकी वृद्धि एक साल पहले की तुलना में पांच-तिमाही के निचले स्तर 6.7% पर आ गई, क्योंकि कृषि और व्यापार से संबंधित सेवाओं का उत्पादन कम हो गया।

जुलाई 2024 में पूर्ण केंद्रीय बजट पेश होने से पहले जारी इकोनॉमी सर्वे ने वैश्विक अनिश्चितताओं और विभिन्न घरेलू चुनौतियों के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5-7 प्रतिशत की बहुत ब्रोकरज प्रमुख नोमुरा ने सितंबर में भारत की जीडीपी वृद्धि को वित्त वर्ष 25 में 6.7% तक कम करने का अधिक रूढ़िवादी अनुमान लगाया है।

फरवरी 2023 में आखिरी बार बदला गया था रेपो रेट

आरबीआई की स्थिर ब्याज दरें और महंगाई का बोझ मालूम हो कि भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव करते हुए इसे 6.5 प्रतिशत किया था। उसके बाद से मौद्रिक नीति समिति की 10 बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया गया है। यह निर्णय जबकि देश में महंगाई का दबाव बना हुआ है।

पिछले कुछ महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति ने आम जनता को काफी परेशानी दी है। वेज थाली लगातार महंगी हो रही है। मौसम की अप्रत्याशितता और कृषि क्षेत्र में अक्षमताओं के कारण खाद्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है। इस स्थिति में आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में बदलाव न करने से आम आदमी पर महंगाई का बोझ और भी बढ़ गया है।

आरबीआई की ओर से ब्याज दरें स्थिर रखने का क्या कारण है? क्या यह आर्थिक स्थिरता बनाए रखने की कोशिश है या फिर कुछ और? इस बारे में कई तरह के विश्लेषण हो रहे हैं। यह सवाल अब भी जटिल है, लेकिन यह निश्चित है कि आम आदमी महंगाई के दबाव को झेल रहा है और आरबीआई की ओर से कोई राहत की उम्मीद कर रहा है।

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