पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि देश में मध्य वर्ग की वृद्धि के साथ-साथ पेट्रोकेमिकल उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार निवेश को बढ़ावा देगी।
नई दिल्ली: भारत में पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खपत लगातार बढ़ रही है, जो वर्तमान में लगभग 30 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। इस क्षेत्र का कुल बाजार मूल्य लगभग 220 अरब डॉलर है, जो 2025 तक 300 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
भविष्य में, मांग में वृद्धि के साथ, यह आंकड़ा 2040 तक तीन गुना होकर 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। साथ ही, अगले दशक में पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में करीब 87 अरब डॉलर का निवेश आने की संभावना भी है।
बढ़ते मिडिल क्लास के साथ बढ़ रही डिमांड
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को मुंबई में इंडिया केम इवेंट के दौरान कहा कि भारत में मिडिल क्लास की वृद्धि के चलते पेट्रोकेमिकल उत्पादों की मांग में तेजी आई है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रति व्यक्ति पेट्रोकेमिकल खपत विकसित देशों की तुलना में काफी कम है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं। भारत, चीन और मध्य पूर्व में पेट्रोकेमिकल उत्पादन की क्षमता बढ़ाने की दिशा में काम जारी है, जबकि कई अन्य देश तेजी से क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ रहे हैं।
पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट कंपनियां भी बढ़ाएंगी निवेश
हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, ऑयल सेक्टर में काम करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, जैसे ओएनजीसी (ONGC) और बीपीसीएल (BPCL), अपने निवेश को बढ़ा रही हैं। प्राइवेट सेक्टर में हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स (Haldia Petrochemicals) भी लगभग 45 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रही है। मंत्री ने बताया कि देश को इस सेक्टर में 100 अरब डॉलर के निवेश की आवश्यकता है।
इसके साथ ही, भारत कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में भी प्रयास कर रहा है और क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
देश के पेट्रोकेमिकल्स प्रोडक्शन में हो रहा इजाफा
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वर्ष 2030 तक देश का पेट्रोकेमिकल्स प्रोडक्शन 29.62 मिलियन टन से बढ़कर 46 मिलियन टन होने की उम्मीद है। मंत्री ने बताया कि सरकार पेट्रोलियम, केमिकल्स और पेट्रोकेमिकल्स इनवेस्टमेंट रीजन, प्लास्टिक पार्क और टेक्सटाइल पार्क के विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
इसके अलावा, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। 2025 तक, भारत को 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना है।