ब्रांड भारत बनाने के लिए पश्चिमी दबावों को नकारें, निर्मला सीतारमण ने क्यों दी ये सलाह?

ब्रांड भारत बनाने के लिए पश्चिमी दबावों को नकारें, निर्मला सीतारमण ने क्यों दी ये सलाह?
Last Updated: 3 घंटा पहले

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव 2024' में भारतीय शिल्प उद्योग को लेकर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत को एक मजबूत 'ब्रांड भारत' बनाने के लिए हमें पश्चिमी मानकों और फरमानों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।

सीतारमण ने उदाहरण देते हुए कहा, हम हजारों सालों से पारंपरिक उद्योगों में काम कर रहे हैं, जैसे कि कालीन निर्माण। यह उद्योग हमेशा से हमारे समाज का हिस्सा रहा है, लेकिन जब पश्चिमी देशों ने इस पर सवाल उठाया और बच्चों के शोषण का आरोप लगाया, तो यह हमारे लिए चौंकाने वाला था।

निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि भारतीय परिवार अपने बच्चों को स्कूल से वंचित किए बिना शिल्प के काम में प्रशिक्षित करते हैं। उनका मानना है कि शिल्प में महारत हासिल करने के लिए इसे बचपन से सीखना जरूरी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय परिवारों द्वारा बच्चों को शिल्प सिखाना किसी गलत प्रथा का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक परंपरा है, जिसे उनकी शिक्षा के साथ संतुलित किया जाता है।

स्वतंत्र और नैतिक उत्पादन की आवश्यकता

सीतारमण ने जोर देते हुए कहा कि हमें अपने उत्पादों के निर्माण में नैतिकता और बेहतर प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए पश्चिमी दबाव का इंतजार नहीं करना चाहिए। यह कदम हमें अपनी तरफ से उठाने चाहिए, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं से मेल खाता हो।

प्राचीन भारत की ताकत को पहचानें

सीतारमण ने यह भी कहा कि भारत के प्राचीन ज्ञान और संस्कृतियों को सही तरीके से प्रचारित करने की जरूरत है। उन्होंने भारतीय विज्ञान के समृद्ध इतिहास को याद करते हुए कहा कि 'सुश्रुत संहिता' जैसे ग्रंथों का ज्ञान आज भी हमारे लिए मूल्यवान है। यही प्राचीन भारत का ब्रांड है, जिसे हमें गर्व से दुनिया के सामने लाना चाहिए।

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