The Kandahar Hijacking: 25 साल बाद कंधार हाइजैक पर बड़ा खुलासा, पूर्व रॉ चीफ ने दिया बयान, कहा - 'हाईजैक में था ISI का हाथ'

The Kandahar Hijacking: 25 साल बाद कंधार हाइजैक पर बड़ा खुलासा, पूर्व रॉ चीफ ने दिया बयान, कहा - 'हाईजैक में था ISI का हाथ'
Last Updated: 04 सितंबर 2024

1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान IC 814 के हाईजैक की घटना भारतीय इतिहास की सबसे गंभीर आतंकवादी घटनाओं में से एक है। इस विमान को पाकिस्तानी आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था और इसे दिल्ली से अमृतसर होते हुए अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। इस घटना के दौरान खुफिया एजेंसी रॉ के तत्कालीन प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत ने बड़े खुलासे किए हैं।

The Kandahar Hijacking: Netflix पर हाल ही में रिलीज़ हुई वेब सीरीज 'IC 814 कंधार हाईजैक' ने काफी विवाद खड़ा कर दिया है। इस फिल्म में आतंकियों के हिंदू नामों का उल्लेख करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित कई संगठनों ने विरोध व्यक्त किया। इसके परिणामस्वरूप, सरकार ने नेटफ्लिक्स को नोटिस भी जारी किया है।

दरअसल, 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी 814 का हाईजैक पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा किया गया था, जिन्हें दिल्ली के बजाय अमृतसर के रास्ते अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। आखिरकार, आतंकियों ने विमान को कैसे हाईजैक किया और भारतीय सुरक्षाकर्मियों से कहां चूक हुई? इस पर खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत ने कुछ महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं।

आतंकवादियों के नाम पर हुआ विवाद

वेब सीरीज "IC 814 कंधार हाईजैक" में आतंकियों के हिंदू नामों का उपयोग किए जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है। इस सीरीज में आतंकियों के नाम जैसे "चीफ", "बर्गर", "डॉक्टर", "भोला", और "शंकर" रखे गए हैं, जो वास्तविक नामों से भिन्न हैं। इस बदलाव को लेकर कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने विरोध जताया, और आरोप लगाया कि इससे इतिहास की सच्चाई को विकृत किया जा रहा है।

सरकार ने इस मुद्दे पर नेटफ्लिक्स को नोटिस जारी किया, जिसके बाद नेटफ्लिक्स ने एक स्पष्टीकरण दिया है। नेटफ्लिक्स ने घोषणा की कि वेब सीरीज के शुरू में एक डिस्क्लेमर दिखाया जाएगा, जिसमें आतंकियों के असली नाम स्पष्ट रूप से बताए जाएंगे। असली नामों में इब्राहिम अतहर, शाहीद अख्तर सैयद, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम, और सैयद शकीर शामिल हैं।

सीरीज पर पूर्व रॉ चीफ ने दिए बयान

पूर्व RAW प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत ने कंधार हाईजैकिंग मामले में स्वीकार किया है कि भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने निर्णय लेने में चूक की थी। उन्होंने कहा कि जब आतंकियों ने विमान को अमृतसर में उतारा, तब भारतीय सुरक्षाकर्मियों के पास यह सुनिश्चित करने का समय था कि विमान भारतीय क्षेत्र से बाहर जाए।

दुलत ने उल्लेख किया कि इस स्थिति को ठीक से संभालने के लिए तत्काल और ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता थी। हालांकि, इस समय पर सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया में देरी और समन्वय की कमी के कारण आतंकियों को विमान को कंधार ले जाने का मौका मिला।

इस घटना ने भारतीय सुरक्षा तंत्र की कई कमजोरियों को उजागर किया और भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया। इस चूक ने केवल भारतीय सुरक्षा की रणनीति को प्रभावित किया बल्कि आतंकवाद से लड़ने के तरीकों पर भी सवाल उठाए।

'निर्णय लेने में हुई थी गलती': रॉ चीफ

पूर्व RAW प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत ने कंधार हाईजैकिंग मामले में अपनी स्वीकारोक्ति में कहा कि जब विमान अमृतसर से निकल गया, तो भारतीय सुरक्षाकर्मियों के पास आतंकियों से बातचीत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। उन्होंने इंडिया टूडे से बातचीत में बताया कि उस समय के हालात को देखते हुए, यह एक अच्छी डील थी।

दुलत ने स्वीकार किया कि निर्णय लेने में जो गलती हुई, उसे उन्होंने पहले भी कई बार स्वीकार किया है। उनका मानना था कि उस स्थिति में, जो निर्णय लिया गया, वह उस समय के लिए सबसे व्यावहारिक समाधान था, हालांकि यह भारतीय सुरक्षा तंत्र की कमजोरी और संभावित सुधार की आवश्यकता को भी दर्शाता है।

खून खराबे से बचने के लिया था यह फैसला

अमरजीत सिंह दुलत ने कंधार हाईजैकिंग के दौरान स्थिति की जटिलता को लेकर विस्तार से बताया कि उस समय पंजाब के तत्कालीन डीजीपी सरबजीत सिंह के साथ उनकी लंबी बातचीत हुई थी। सरबजीत सिंह ने स्पष्ट किया कि वे केपीएस गिल की तरह नहीं थे, जो अपनी नौकरी दांव पर लगाने के लिए तैयार रहते थे। डीजीपी ने यह भी बताया कि तत्कालीन सीएम प्रकाश सिंह बादल भी अमृतसर में कोई खून-खराबा नहीं चाहते थे।

दुलत ने आगे कहा कि डीजीपी ने यह सुझाव दिया था कि अगर उन्हें दिल्ली से स्पष्ट संकेत मिलते, तो निर्णय लिया जा सकता था। लेकिन उस समय वाजपेयी सरकार भी खून-खराबा नहीं चाहती थी, जिससे निर्णय लेने में और भी मुश्किलें उत्पन्न हुईं।

यात्रियों के बदले आतंकवादियों को किया रिहा

1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी 814 के कंधार हाईजैक की स्थिति को समाप्त करने के लिए भारत और तालिबान के बीच 28 दिसंबर 1999 को एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। इस डील के तहत, तालिबान ने विमान में सवार 179 यात्रियों की सुरक्षा की गारंटी दी, लेकिन इसके बदले में तीन आतंकियों को रिहा करने की मांग की। इन आतंकियों में मौलाना मसूद अजहर, उमर शेख, और मुश्ताक जरगर शामिल थे।

तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने कंधार जाकर इन आतंकियों को तालिबान के हाथों सौंपा। कंधार पहुंचने के बाद, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के अधिकारी भी वहां मौजूद थे और उन्होंने आतंकियों के रिश्तेदारों को भी लाया, जिनकी पहचान की गई। इस समझौते के बाद, सभी यात्रियों को सुरक्षित रूप से भारत वापस लाया गया।

यह समझौता एक विवादास्पद और संवेदनशील विषय रहा है, और इसके परिणामस्वरूप, भारत के सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी नीतियों पर व्यापक चर्चा और विश्लेषण हुआ। इस घटना ने आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक निर्णय लेने की चुनौतियों को उजागर किया और भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया।

 

 

 

 

 

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