पंजाब: जगमोहन बने 'जगजीत सिंह', जालंधर से किया गजलों का सफर शुरु, दुनिया हुई कायल
दिवंगत गायक जगजीत सिंह की आज 83वीं बर्थ एनिवर्सरी है. गजल के सम्राट 'जगजीत सिंह' का पंजाब से गहरा रिश्ता रहा है. पंजाब के जालंधर जिले ने जगजीत सिंह को न सिर्फ नाम दिया बल्कि एक नई पहचान भी दी थी. उन्होंने अपनी गजल गायकी की शुरुआत जालंधर से की थी. उसी के बाद जगमोहन सिंह धीमान जगजीत सिंह के रूप में विख्यात हुए. उनकी गजलों की दुनिया कायल थी. जगजीत सिंह की गजलों को सुनकर उन्हें दिल से याद किया जाता हैं।
जगजीत सिंह का जन्म परिचय
जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान में हुआ लेकिन वो पंजाबी थे. उनके पिता अमर सिंह धीमान और माता सरदारनी बच्चन कौर थी. जगमोहन के चार बहन और दो भाई थे. उनकी पत्नी का नाम चित्रा था. जन्म के समय उनका नाम जगमोहन रखा गया था, लेकिन उनके पिता ने गुरु के कहने पर उनका नाम बदलकर "जगजीत सिंह धीमान" रख दिया। जगजीत सिंह ने अपना बचपन राजस्थान के श्री गंगानगर जिले में बिताया।
कॉलेज के दौरान गायन का करते थे रियाज
Subkuz.com को प्राप्त जानकारी के अनुसार जगजीत सिंह की शुरुआती शिक्षा गंगानगर में स्थित खालसा हाई स्कूल से हासिल की थी. उसके बाद ग्रेजुएशन की शिक्षा डीएवी कॉलेज से प्राप्त की थी। जगजीत ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में स्नातकोत्तर (Post Graduation) की डिग्री प्राप्त की थी. जगमोहन के पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन इनका शौक गायन में था।
जगजीत सिंह कॉलेज के दौरान कक्षा में कम और रियाज में ज्यादा समय बिताते थे. उन्होंने कॉलेज के सभी कार्यक्रमों के साथ-साथ यूथ फेस्टीवलों में अपनी प्रस्तुतियां दी थी और कई पुरस्कार भी जीते थे. जगजीत सिंह ने गुरुद्वारे में पंडित छगनलाल मिश्रा और उस्ताद जमाल खान से क्लासिकल संगीत की शिक्षा ली थी।
सुदर्शन फाकिर और जगजीत सिंह की दोस्ती
जानकारी के अनुसार कॉलेज के प्रो.शरद मनोचा ने बताया कि वे 1959 से 1961 तक उनके पास पढ़ाई करते थे. प्रोफेसर ने बताया कि जगजीत अक्सर अपने सहपाठियों से चैलेंज करते थे कि चाहे कोई भी उपकरण (म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट) ले आओ वह उसे आधे घंटे में बजाकर दिखा देगा। सुदर्शन फाकिर और जगजीत सिंह की दोस्ती भी उसी दौरान हुई थी।
बताया है कि जब उनके सभी सहपाठी सो रहे होते थे तो वे दोनों सुबह पांच बजे उठ कर रियाज करते थे. जिस कारण उनके दोस्त उनसे नाराज होते थे. वे दोनों अपनी हर नई गजल दोस्तों को सुनाकर साझा किया करते थे. गजल को सुनकर कई बार दोस्तों ने उनका मजाक भी बनाया। लेकिन वे हमेशा हंस कर एक बात बोलते कि अभी उनकी गजलें सुन लें, बाद में टिकट लेकर सुननी पड़ेगी।
जगजीत सिंह का बॉलीवुड करियर
बताया है कि जगजीत सिंह मधुर आवाज के धनी थे, लेकिन संगीत की दुनिया में उनकी कोई जान पहचान नहीं थी. इसलिए उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. जगजीत अपने सपनों को पूरा करने के लिए वर्ष 1965 में घर वालो को बिना बताए मुंबई आ गए. उन्होंने विज्ञापन जिंगल के गायक के रूप में करियर की शुरुआत की थी।
जगजीत सिंह ने प्लेबैक गायक के तौर पर भी कई गाने गाए उसी दौरान उनकी मुलाकात चित्रा से हुई. उसके बाद दोनों ने मिलकर एक एलबम में गाना गाया था. यह एलबम लोगों को बहुत पसंद आया. इसके बाद जगजीत सिंह की आवाज का जादू लोगों पर चढ़ने लगा. जगजीत सिंह ने कई बॉलीवुड फिल्मों में गाने गाए है, जिन्हे आज भी पसंद किया जाता हैं।
"गजल सम्राट जगजीत सिंह" की गजल
जगजीत सिंह ने अपनी गजलों से असंख्य श्रोताओं के मन और जुबां पर अमिट छाप छोड़ी है उनकी गजल...... "कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे- तूने आंखों से कोई बात कही हो जैसे। जागते जागते इक उम्र कटी हो जैसे -जान बाक़ी है मगर सांस रुकी हो जैसे" (फिल्म-तुम बिन), 'चिट्ठी न कोई संदेश जाने वो कौन सा देश- जहां तुम चले गए' (फिल्म-दुश्मन), "होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो" (फिल्म-प्रेम कथा) जैसी गजलों ने सब का दिल जीत लिया था।
जगजीत सिंह ने इनके साथ-साथ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी के द्वारा लिखे गए गीतों को गाया और रिकॉर्ड भी किया था. जगजीत सिंह ने ऑल इंडिया रेडियों में म्यूजिक कंपोजर के तौर पर काम किया। इस दौरान उन्होंने कई गाने गाए और लिखे थे. जगजीत ने 1962 में भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के स्वागत के लिए एक गाना लिखा था।
जगजीत को मिले पुरस्कार और सम्मान
"गजल सम्राट जगजीत सिंह" को महान गजल गायक के लिए कई सम्मान से सम्मानित किया गया है...
* वर्ष 1998 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 'लता मंगेशकर' सम्मान से नवाजा गया था।
* वर्ष 2003 में पद्म भूषण सम्मान दिया गया था।
* वर्ष 2005 में दिल्ली सरकार द्वारा 'गालिब अकादमी' पुरस्कार दिया गया था।
* संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी दिया गया था।
मरणोपरांत जगजीत सिंह को राजस्थान सरकार ने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार "राजस्थान रत्न" से सम्मानित किया गया था।
जगजीत सिंह की मृत्यु
जानकारी के अनुसार जगजीत सिंह मस्तिष्क रक्तस्राव के कारण दो हफ्तों से भी अधिक समय कोमा में रहे थे. लेकिन 10 अक्टूबर 2011 मुंबई के लीलावती अस्पताल में जगजीत सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया। जगजीत मृत्यु पर पुरे भारत में शौक की लहार दौड़ गई. वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा जगजीत की तस्वीर लगी डाक टिकट जारी की थी।