पंजाब में राजनीतिक सरगर्मी उस वक्त तेज हो गई जब आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने केंद्र सरकार की प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया का खुलकर विरोध किया।
चंडीगढ़: पंजाब में राजनीतिक सरगर्मी उस वक्त तेज हो गई जब आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने केंद्र सरकार की प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया का खुलकर विरोध किया। शनिवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा आयोजित सम्मेलन में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत कई विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए और भाजपा सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया।
‘जहां भाजपा कमजोर, वहां सीटों में कटौती’ – भगवंत मान
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि परिसीमन के पीछे भाजपा का असली मकसद उन राज्यों में सीटों को कम करना है जहां उसे हार का सामना करना पड़ता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा हिंदी पट्टी में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाना चाहती है, जबकि पंजाब और दक्षिण भारत जैसे राज्यों में इसे घटाने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने कहा, "यह लोकतंत्र के खिलाफ साजिश है। भाजपा का एजेंडा साफ है – जहां उसे वोट नहीं मिलते, वहां संसदीय सीटें कम कर दो। लेकिन हम इसे सफल नहीं होने देंगे।"
अकाली दल ने भी उठाए सवाल
शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ ने भी परिसीमन के नए प्रस्ताव को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि सीटों के निर्धारण का आधार 1971 की जनगणना को ही रहना चाहिए। "हम उन राज्यों के खिलाफ कोई अन्याय नहीं होने देंगे, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर काम किया है। सीटों का पुनर्गठन करना सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने की चाल हैं।"
अकाली दल के ही नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि दिवंगत नेता प्रकाश सिंह बादल ने हमेशा संघीय ढांचे की मजबूती के लिए आवाज उठाई थी।
दक्षिणी राज्यों के साथ पंजाब भी विरोध में शामिल
परिसीमन को लेकर दक्षिण भारत के राज्यों में भी भारी विरोध है। चेन्नई में आयोजित बैठक में इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाते हुए पंजाब, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के नेताओं ने इस प्रस्ताव को अगले 25 वर्षों तक टालने की मांग की। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि "अगर परिसीमन की प्रक्रिया 1971 की जनगणना के आधार पर जारी नहीं रहती, तो यह उन राज्यों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कठोर कदम उठाए हैं।"
भाजपा ने किया विरोधियों के आरोपों का खंडन
भाजपा ने विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के तहत होगी। पार्टी नेताओं ने कहा कि यह फैसला राष्ट्रीय हित में लिया जा रहा है और इसका मकसद संसदीय प्रतिनिधित्व को ज्यादा संतुलित बनाना है। परिसीमन की प्रक्रिया के तहत लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण किया जाता है। इसका उद्देश्य जनसंख्या में आए बदलाव के अनुसार संसदीय सीटों का पुनर्गठन करना हैं।
लेकिन कई राज्य, खासतौर पर पंजाब और दक्षिण भारत के राज्य, इस प्रस्ताव का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर काम किया है। यदि परिसीमन 2021 की जनगणना के आधार पर होता है, तो उत्तर भारत के राज्यों को अधिक लोकसभा सीटें मिल सकती हैं, जबकि पंजाब, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों की सीटें घट सकती हैं।