70 घंटे काम करने की सलाह पर सुधा मूर्ति का जवाब, जानें क्या कहा?

70 घंटे काम करने की सलाह पर सुधा मूर्ति का जवाब, जानें क्या कहा?
अंतिम अपडेट: 21 घंटा पहले

सुधा मूर्ति ने नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम करने की सलाह पर प्रतिक्रिया दी, कहकर समय की सीमा नहीं होती अगर काम जुनून से किया जाए, लेकिन वर्क-लाइफ बैलेंस भी जरूरी है।

Sudha-Murthy: सुधा मूर्ति ने अपने पति और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम करने की सलाह पर एक संतुलित और विचारशील प्रतिक्रिया दी है। उनका मानना है कि जब कोई काम जुनून और समर्पण के साथ किया जाता है, तो समय की सीमा मायने नहीं रखती। उनके अनुसार, इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनी को खड़ा करने के पीछे केवल कड़ी मेहनत, सही टीम और समय का सही इस्तेमाल था।

सुधा मूर्ति का परिवार और काम के प्रति समर्पण

सुधा मूर्ति ने अपनी खुद की जीवन यात्रा का उदाहरण दिया और बताया कि उन्होंने परिवार की जिम्मेदारियां संभाली, ताकि उनके पति अपने काम पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर सकें। उनका यह भी कहना है कि सिर्फ आईटी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि अन्य पेशों जैसे डॉक्टर, पत्रकार, आदि में भी लोग लंबे घंटे काम करते हैं, यह सब प्राथमिकता और जुनून पर निर्भर करता है।

वर्क-लाइफ बैलेंस और मेहनत का सवाल

सुधा मूर्ति के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपने काम से प्यार करता है, तो 70 या 90 घंटे का काम भी बोझ नहीं लगता, लेकिन यह हर किसी के लिए जरूरी नहीं है। वे यह भी मानती हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का समय का इस्तेमाल उसकी पसंद और प्राथमिकता पर निर्भर करता है। कुछ लोग वर्क-लाइफ बैलेंस चाहते हैं, जबकि कुछ अपने करियर को प्राथमिकता देते हैं।

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर जोरदार बहस हो रही है। एक तरफ वे लोग हैं जो वर्क-लाइफ बैलेंस और मानसिक स्वास्थ्य की वकालत कर रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ वे लोग हैं जो मानते हैं कि देश की प्रगति के लिए मेहनत जरूरी है। सुधा मूर्ति का बयान इस बहस को एक नए दृष्टिकोण से देखता है और नारायण मूर्ति के विचारों को समर्थन देता है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या हर किसी से ऐसी मेहनत की उम्मीद की जानी चाहिए?

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