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ओडिशा घोटाला: ऑनलाइन गेमिंग में उड़ाए 3.26 करोड़, पंचायत अधिकारी गिरफ्तार

ओडिशा घोटाला: ऑनलाइन गेमिंग में उड़ाए 3.26 करोड़, पंचायत अधिकारी गिरफ्तार
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

ओडिशा के कालाहांडी जिले में सरकारी धन के गबन का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पंचायत कार्यकारी अधिकारी (PEO) देबानंद सागर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए दो पंचायतों के सरकारी कोष से 3.26 करोड़ रुपये निकालकर ऑनलाइन गेमिंग और क्रिकेट सट्टेबाजी में लगा दिए। 

भुवनेश्वर: ओडिशा के कालाहांडी जिले में पंचायत कार्यकारी अधिकारी (PEO) देबानंद सागर द्वारा 3.26 करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया है। उन्होंने सरकारी धन का दुरुपयोग कर उसे ऑनलाइन गेमिंग और क्रिकेट सट्टेबाजी में लगा दिया। जांच में पाया गया कि उन्होंने फर्जी हस्ताक्षर और वित्तीय गड़बड़ियों के जरिए यह धनराशि अपने निजी खाते में ट्रांसफर की। राज्य सतर्कता विभाग ने मामले का खुलासा करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

नकली हस्ताक्षर से किया बड़ा गबन

जांच के दौरान सामने आया कि देबानंद सागर ने पंचायतों के सरपंचों के फर्जी हस्ताक्षर करके पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) का गलत इस्तेमाल किया। उसने 15वें केंद्रीय वित्त आयोग (CFC) और 5वें राज्य वित्त आयोग के खातों से करोड़ों रुपये अपने निजी बैंक खाते में ट्रांसफर कर लिए।

दो पंचायतों से करोड़ों की हेराफेरी

तलनेगी ग्राम पंचायत – 1.71 करोड़ रुपये का गबन
पोदापदर ग्राम पंचायत – 1.55 करोड़ रुपये का गबन
राज्य सतर्कता विभाग के अनुसार, आरोपी ने SBI धरमगढ़ बाजार शाखा में स्थित अपने खाते में इन पैसों को स्थानांतरित किया और उन्हें ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी में बर्बाद कर दिया।

सरकारी पद का गलत इस्तेमाल

जानकारी के मुताबिक, देबानंद सागर ने 4 जुलाई 2016 को तलनेगी ग्राम पंचायत में PEO के रूप में नियुक्ति पाई थी। 5 मई 2018 से 17 मार्च 2022 तक वह पोदापदर ग्राम पंचायत में तैनात रहा और इसी दौरान उसने सरकारी कोष को ठिकाने लगाने की साजिश रची। घोटाले की भनक लगते ही सतर्कता विभाग ने मामले की जांच शुरू की। पुख्ता सबूत मिलने के बाद आरोपी अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।

यह मामला ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग में सरकारी धन के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण है। प्रशासन अब इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या इस घोटाले में कोई और अधिकारी शामिल था। फिलहाल, इस घोटाले ने ओडिशा में सरकारी धन की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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