22 मार्च 2020 को भारत ने एक अनूठा उदाहरण पेश किया, जब पूरे देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर ‘जनता कर्फ्यू’ का पालन किया। कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में यह पहला बड़ा कदम था, जिसने देशभर में अनुशासन और एकजुटता का संदेश दिया। इस दिन भारतवासियों ने अपने घरों में रहकर कोरोना योद्धाओं के प्रति सम्मान प्रकट किया और शाम 5 बजे ताली-थाली बजाकर उन्हें सलाम किया।
जनता कर्फ्यू: जब भारत ने दिखाई एकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च 2020 को राष्ट्र के नाम संबोधन में ‘जनता कर्फ्यू’ का आह्वान किया था। उन्होंने देशवासियों से 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक अपने घरों में रहने की अपील की थी। इसका उद्देश्य कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखना था। भारत ने इस आह्वान को अभूतपूर्व समर्थन दिया और सड़कों पर सन्नाटा छा गया।
शाम 5 बजे पूरे देश में ताली, थाली और घंटियां गूंज उठीं। यह उन डॉक्टरों, नर्सों, पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों और अन्य आवश्यक सेवा प्रदाताओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का प्रतीक था, जो अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना से जूझ रहे थे।
इतिहास में 22 मार्च की अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं
1739 – फारसी शासक नादिर शाह ने दिल्ली में ‘कत्लेआम’ का आदेश दिया, जिससे हजारों लोग मारे गए।
1890 – रामचंद्र चटर्जी भारत के पहले व्यक्ति बने, जिन्होंने पैराशूट से सफलतापूर्वक छलांग लगाई।
1894 – महान स्वतंत्रता सेनानी सूर्य सेन का जन्म हुआ, जिन्होंने चटगांव विद्रोह का नेतृत्व किया।
1942 – ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘क्रिप्स मिशन’ भारत भेजा गया।
1947 – लॉर्ड माउंटबेटन भारत के अंतिम वायसराय के रूप में पहुंचे।
1993 – संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहली बार ‘विश्व जल दिवस’ मनाया गया।
2000 – भारतीय संचार उपग्रह ‘इनसैट-3बी’ का सफल प्रक्षेपण हुआ।
2024 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से सम्मानित किया गया।
जनता कर्फ्यू की सफलता और सीख
जनता कर्फ्यू ने यह दिखा दिया कि भारत में संकट के समय लोग एकजुट होकर अनुशासन का पालन कर सकते हैं। यह न केवल कोरोना के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत थी, बल्कि आगे आने वाले लॉकडाउन के लिए एक परीक्षण भी था। इस कदम से दुनिया को भी संदेश गया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर है।