उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम भारत के सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां बाबा नीब करौली (Neem Karoli Baba) का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। इस पवित्र स्थल का नाम 'कैंची धाम' क्यों पड़ा? इसका इतिहास और महत्व क्या है? आइए, इस आध्यात्मिक धरोहर को विस्तार से जानते हैं।
क्यों पड़ा नाम 'कैंची धाम'?
इस मंदिर का नाम 'कैंची धाम' पड़ने के पीछे एक दिलचस्प कारण है। यह स्थान दो पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो देखने में कैंची के आकार का प्रतीत होता है। इस कारण से इसे ‘कैंची धाम’ कहा जाता है। उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इसी भूगोलिक संरचना की वजह से इस पवित्र स्थल को यह अनोखा नाम मिला।
नीब करौली बाबा: एक दिव्य संत
नीब करौली बाबा, जिन्हें उनके अनुयायी महाराजजी के नाम से भी जानते हैं, 20वीं सदी के महान संतों में से एक थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में एक समृद्ध ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उन्होंने किशोरावस्था में ही सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया और भारत के विभिन्न तीर्थ स्थलों की यात्रा की।
बाबा को हनुमान जी का परम भक्त माना जाता था, और उन्होंने अपने जीवनकाल में कई हनुमान मंदिरों का निर्माण करवाया। उनके चमत्कारी व्यक्तित्व और आशीर्वाद से कई लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आए।
कैंची धाम का निर्माण और धार्मिक महत्व
15 जून 1964 को बाबा नीब करौली और उनके भक्तों ने मिलकर इस आश्रम की स्थापना की। इस मंदिर में हनुमान जी, राम-सीता, शिव-पार्वती, और अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी बने हुए हैं। कहा जाता है कि बाबा अपने जीवन के अंतिम वर्षों में यहां साधना और ध्यान किया करते थे। आज यह आश्रम केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में आध्यात्मिक साधकों और श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है। यहां अमेरिका और यूरोप से भी बड़ी संख्या में लोग बाबा का आशीर्वाद लेने आते हैं।
बाबा की महासमाधि और आध्यात्मिक विरासत
नीब करौली बाबा ने अपने जीवन का अधिकांश समय उत्तराखंड और वृंदावन में बिताया। उन्होंने उत्तराखंड में कैंची धाम और उत्तर प्रदेश के वृंदावन में एक दूसरा आश्रम बनवाया। 11 सितंबर 1973 को उन्होंने वृंदावन में महासमाधि ली, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों का मार्गदर्शन कर रही हैं।
देश-विदेश की हस्तियां भी कर चुकी हैं दर्शन
कैंची धाम के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां स्टीव जॉब्स (एप्पल के संस्थापक) और मार्क जुकरबर्ग (फेसबुक के संस्थापक) जैसे दिग्गज भी आ चुके हैं। कहा जाता है कि स्टीव जॉब्स को जब अपने करियर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तो वे यहां आए और उनकी यात्रा के बाद एप्पल कंपनी ने नई ऊंचाइयों को छुआ।
कैंची धाम: आस्था, शांति और चमत्कारों का संगम
आज भी बाबा के भक्त मानते हैं कि यहां आने से उन्हें मानसिक शांति और ऊर्जा प्राप्त होती है। यहां हर साल 15 जून को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। कैंची धाम सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र है, जहां आने वाले हर व्यक्ति को दिव्यता और शांति का अनुभव होता है। अगर आप भी आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं, तो यह स्थान आपके लिए एक आदर्श गंतव्य हो सकता है।