रमजान इस्लाम में सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमतों की बारिश करते हैं। यह महीना सिर्फ रोजा रखने का नहीं बल्कि खुदा की इबादत और उससे अपने गुनाहों की माफी मांगने का भी होता है। रमजान में मांगी गई दुआएं कबूल होती हैं, लेकिन इसके लिए सही तरीका अपनाना जरूरी है। आइए जानते हैं कि इस पाक महीने में दुआ मांगने का सही तरीका क्या है।
तरावीह और तहज्जुद की नमाज से करें इबादत
रमजान में दुआ कबूल करवाने के लिए तरावीह और तहज्जुद की नमाज को बहुत अहम माना जाता है। तरावीह की नमाज: रमजान में रात की विशेष नमाज, जिसे तरावीह कहा जाता है, अल्लाह को बेहद पसंद है। कहा जाता है कि जो भी इस नमाज को पढ़ता या सुनता है, उसकी दुआएं जरूर कबूल होती हैं। यह रात के आखिरी पहर में पढ़ी जाने वाली विशेष इबादत है। कुरान और हदीस में इसे अल्लाह के सबसे करीब बताया गया है। तहज्जुद में मांगी गई दुआ कभी खाली नहीं जाती।
शब-ए-कद्र की रात: हजारों महीनों की इबादत के बराबर
रमजान के आखिरी 10 दिनों में आने वाली एक खास रात होती है, जिसे शब-ए-कद्र कहा जाता है। यह रात हजारों महीनों की इबादत के बराबर मानी जाती है। इस रात में की गई इबादत और मांगी गई दुआ को अल्लाह जरूर सुनते हैं। इसलिए इन रातों में इबादत का खास ख्याल रखें।
रमजान में दुआ कबूल होने के लिए अपनाएं ये तरीके
वुजु करके दुआ मांगें – पाक-साफ होकर अल्लाह से दुआ करें।
अल्लाह से तौबा करें – दुआ से पहले अपने गुनाहों की माफी मांगे और आगे से गुनाह न करने की नीयत करें।
सच्चे दिल से मांगी गई दुआ – रमजान में दिल से मांगी गई दुआ को अल्लाह जरूर सुनते हैं।
अल्लाह की तारीफ करें – दुआ से पहले और बाद में अल्लाह की हम्द-ओ-सना करें।
जरूरतमंदों की मदद करें – रमजान में गरीबों की मदद करने से अल्लाह और ज्यादा खुश होते हैं और आपकी दुआ को जल्द कबूल कर सकते हैं।
रमजान सिर्फ रोजा रखने और इबादत करने का ही नहीं, बल्कि खुदा के करीब जाने का महीना है। इस पाक महीने में अगर सही तरीके से दुआ मांगी जाए, तो अल्लाह उसे जरूर सुनते हैं और हर परेशानी को दूर कर सकते हैं। रमजान की इबादत और नेकियों से खुदा की रहमत पाई जा सकती है, इसलिए इस मौके को हाथ से जाने न दें।