राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने औरंगजेब, वक्फ संशोधन बिल, परिसीमन और अवैध प्रवासियों के मुद्दों पर बड़ा बयान दिया हैं।
नई दिल्ली: RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने औरंगजेब, वक्फ संशोधन बिल, परिसीमन और अवैध प्रवासियों पर बेबाक बयान दिया। उन्होंने कहा कि हमें यह तय करना होगा कि हम बाहरी आक्रमणकारियों को आदर्श मानेंगे या अपने देश के महापुरुषों का सम्मान करेंगे। साथ ही, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर इतिहास से छेड़छाड़ पर सवाल उठाते हुए उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए संगठित हिंदू समाज की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने धर्म आधारित आरक्षण का भी विरोध किया और अवैध प्रवासियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही।
औरंगजेब को महिमामंडित करने वालों पर सवाल
होसबोले ने कहा कि कुछ लोग गंगा-जमुनी तहज़ीब की बात करते हैं, लेकिन वे औरंगजेब को अपना आइकॉन बना रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया, लेकिन फिर भी कुछ लोग इस सोच को जीवित रखना चाहते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि औरंगजेब को महिमामंडित करने वाले लोग उसके भाई दारा शिकोह के बारे में बात क्यों नहीं करते?
परिसीमन और जनगणना पर RSS का रुख
होसबोले ने परिसीमन के मुद्दे पर कहा कि पहले जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए, उसके बाद ही इस पर कोई चर्चा की जा सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघ का राजनीति में कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं है, लेकिन अगर कोई स्वयंसेवक मेरिट के आधार पर राजनीति में जाता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
वक्फ संशोधन बिल और अवैध प्रवासियों पर क्या कहा?
RSS महासचिव ने वक्फ संशोधन बिल पर कहा कि सरकार इस पर सही दिशा में काम कर रही है, आगे की नीति सरकार ही तय करेगी। वहीं, अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि संघ का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है – अवैध प्रवास को रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए। होसबोले ने जातिगत आरक्षण के मुद्दे पर कहा कि सरकारें इसे लागू करती हैं, लेकिन धर्म के आधार पर आरक्षण देना उचित नहीं है। उन्होंने इस संदर्भ में डॉ. भीमराव अंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि अंबेडकर भी धर्म आधारित आरक्षण के पक्ष में नहीं थे।
संघ के 100 साल और भविष्य की योजनाएं
होसबोले ने बताया कि RSS इस साल अपनी 100वीं वर्षगांठ की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में 1443 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जहां राष्ट्र निर्माण, हिंदू समाज की समरसता और संगठन को लेकर विशेष चर्चा हुई। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य संगठित और समरस हिंदू समाज का निर्माण करना है, जिससे विश्व में शांति और समृद्धि लाई जा सके।" संघ के विस्तार और कार्यकुशलता को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।
RSS ने अपने बयान से स्पष्ट कर दिया कि वह भारतीय इतिहास के पुनर्मूल्यांकन और राष्ट्रीय स्वाभिमान को प्राथमिकता देने के पक्ष में है। संघ ने वक्फ कानून, औरंगजेब की विरासत, परिसीमन और अवैध प्रवासियों पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी और कहा कि अब समय आ गया है कि भारत अपनी संस्कृति और मूल्यों को अपनाकर बाहरी प्रभावों से बाहर निकले।