Bihar: बिहार में BJP और RJD के सामने नई चुनौती, छोटे सहयोगियों की सीटों की बढ़ी मांग, जानें वजह

Bihar: बिहार में BJP और RJD के सामने नई चुनौती, छोटे सहयोगियों की सीटों की बढ़ी मांग, जानें वजह
अंतिम अपडेट: 23 घंटा पहले

बिहार के प्रमुख दल छोटे सहयोगियों की सीटों की बढ़ती मांग से परेशान हैं। कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी और वाम दल अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं, जिससे सीटें कम हो सकती हैं।

Bihar: बिहार के प्रमुख राजनीतिक दल, एनडीए और महागठबंधन दोनों ही अपने छोटे सहयोगियों की बढ़ती मांगों से परेशान हैं। चुनावी समीकरण में छोटे दलों की यह मांग उनके लिए चुनौती बन गई है। कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) और वाम दल, सभी बड़े दलों पर सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे हैं। अगर इन मांगों को पूरा किया गया तो इससे बड़े दलों की सीटें घट सकती हैं, और अगर इनकी अनदेखी की गई, तो ये छोटे दल विरोधी खेमे में जा सकते हैं।

कांग्रेस की बढ़ती मांगें और मुख्यमंत्री के चयन का मुद्दा

इस वक्त कांग्रेस पार्टी में सबसे अधिक चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि बिहार में मुख्यमंत्री का चयन कैसे होगा। राजद की सहयोगी कांग्रेस ने इस बार अपना सुर बदला है और यह साफ तौर पर कह दिया है कि मुख्यमंत्री का चयन विधायक दल की बैठक में किया जाएगा। यह बयान राजद के पारंपरिक विचार से अलग है, जिसमें हमेशा से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखा गया है। इसके साथ ही कांग्रेस की मांग है कि उन्हें चुनावी मैदान में अधिक सीटें मिलनी चाहिए।

कांग्रेस को चिंता है कि विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के गठबंधन में शामिल होने से उनकी सीटें घट सकती हैं। पिछली बार कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, जो अब भी उसके लिए एक बड़ी चिंता का कारण है।

विकासशील इंसान पार्टी की मांगें

विकासशील इंसान पार्टी ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि अगर उन्हें 40 सीटें मिलती हैं, तो पार्टी के नेता मुकेश सहनी उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे और उनकी पार्टी सरकार की नीतियों को नियंत्रित करेगी।

अगर कांग्रेस और वीआइपी की सीटों की मांगें मानी जाती हैं, तो महागठबंधन के पास कुल 110 सीटें आ सकती हैं। इसके बाद 133 सीटों में से राजद और वाम दलों के बीच बाकी सीटों का बंटवारा किया जाएगा।

वाम दलों और सीटों का बंटवारा

वाम दलों की ओर से 29 सीटों की मांग की जा रही है, जबकि कांग्रेस और वीआइपी की मांगों को ध्यान में रखते हुए राजद के पास 103 सीटें बच सकती हैं। यह पिछले चुनाव से 41 सीटें कम होगी, जो राजद के लिए बड़ा झटका हो सकता है।

एनडीए के भीतर भी सीटों का बंटवारा मुश्किल

एनडीए के सहयोगी दल, लोजपा (रा) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM), इस बार अधिक सीटों पर दावा कर रहे हैं। लोजपा ने पिछली बार अकेले चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार एनडीए को मुश्किल में डालने की उसकी पूरी योजना है। इसी तरह, HAM ने इस बार 20 से अधिक सीटों की मांग की है, जबकि पिछली बार वह 7 सीटों पर संतुष्ट हो गया था।

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