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दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख, जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य छीना

दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख, जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य छीना
अंतिम अपडेट: 24-03-2025

दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया गया है। यह कार्रवाई उनके आवास पर नकदी मिलने के मामले में जांच के चलते की गई हैं। 

Justice Yashwant Varma: दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा से तत्काल प्रभाव से न्यायिक कार्य वापस ले लिया है। उनके आधिकारिक आवास पर बेहिसाब नकदी मिलने के बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने गंभीर रुख अपनाते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। इसके तहत तीन सदस्यीय पैनल गठित किया गया है, जो मामले की तह तक जाकर पूरी सच्चाई उजागर करेगा।

क्यों लिया गया यह फैसला?

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सोमवार को यह कड़ा कदम उठाया। जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ-III अब केवल मामलों की तारीख देगी, लेकिन किसी भी याचिका पर निर्णय नहीं लेगी। अदालत के इस फैसले से न्यायपालिका में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने का संदेश दिया गया हैं। 

कुछ दिन पहले जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। इस घटना के बाद से ही उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे। रविवार को एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब उनके सरकारी आवास के बाहर 500-500 रुपये के जले हुए नोटों के टुकड़े मिले। ये नोट सूखे पत्तों के बीच पाए गए, जिससे आशंका जताई जा रही है कि सबूत मिटाने के लिए नोटों को जलाने की कोशिश की गई थी। हालांकि, स्थानीय तुगलक रोड थाना पुलिस ने अभी तक इन जले हुए नोटों को जब्त नहीं किया हैं। 

CJI ने गठित की तीन सदस्यीय जांच समिति

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करेगी। इसके अलावा, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भी इस मामले को लेकर उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है, जिससे साफ है कि यह मामला सिर्फ न्यायपालिका तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे संसदीय स्तर पर भी गंभीरता से लिया जा रहा हैं। 

रविवार को जांच समिति के दो सदस्य दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) के डायरेक्टर अतुल गर्ग के आवास पर पहुंचे और उनसे पूछताछ की। हालांकि, गर्ग ने पूछताछ से इनकार किया है, लेकिन माना जा रहा है कि जांच एजेंसियों ने कुछ अहम दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं।

राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल

इस पूरे घटनाक्रम पर राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि "यहां नोटों के बंडल नहीं जल रहे, बल्कि न्यायपालिका की विश्वसनीयता जल रही है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हाल के कुछ विवादित फैसलों के पीछे भ्रष्टाचार का हाथ हो सकता हैं। 

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच पूरी होने के बाद ही यह तय होगा कि उन पर आगे क्या कार्रवाई होगी। यदि भ्रष्टाचार के आरोप साबित होते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई संभव है। इस घटना ने न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे इसकी छवि को बड़ा झटका लग सकता हैं। 

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