East Asia Summit: हिंद प्रशांत क्षेत्र को किस 'रावण' से भयमुक्त करना चाहते हैं पीएम मोदी, क्या इन 7 तीरों से संहार करेगा भारत? जानें पूरी जानकारी

East Asia Summit: हिंद प्रशांत क्षेत्र को किस 'रावण' से भयमुक्त करना चाहते हैं पीएम मोदी, क्या इन 7 तीरों से संहार करेगा भारत? जानें पूरी जानकारी
Last Updated: 2 घंटा पहले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाओस और वियतनाम जैसे छोटे देशों के साथ दोस्ती बढ़ाने का कदम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह कदम मुख्य रूप से चीन के बढ़ते प्रभाव और उसके रणनीतिक गतिविधियों के जवाब में उठाया गया है, जो क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता का कारण बन रहा हैं।

लाओस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्तमान में लाओस की यात्रा पर हैं, जहां उन्होंने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) को संबोधित करते हुए हिंद प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस मंच पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और शांति पर विशेष ध्यान दिया। इससे पहले, 4 नवंबर 2019 को, इसी अंतरराष्ट्रीय मंच से पीएम मोदी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभर रहे मतभेदों पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एक मुक्त, खुला, समावेशी, पारदर्शी, नियम आधारित, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक तार्किक मंच है, जहाँ संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ-साथ समुद्री कानूनों के पालन पर जोर दिया जाता हैं।

पीएम ने 'इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI)' का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र को सुरक्षित, भयमुक्त और स्थिर बनाना है, साथ ही इच्छुक राष्ट्रों के बीच सहयोग के लिए एक ढांचा तैयार करना है। मोदी के इस भयमुक्त समुद्री क्षेत्र के विजन की आवश्यकता और महत्व को समझना बेहद जरूरी है और यह भी जानना आवश्यक हैं।

समुद्री की सुरक्षा के लिए मोदी के 7 सूत्र

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. राजीव रंजन गिरि के अनुसार, 4 नवंबर, 2019 को भारत ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में अपने प्रस्ताव में समुद्री सहयोग और सहभागिता के सात मूल पहलुओं की पहचान की थी, जो रणनीतिक रूप से प्रधानमंत्री मोदी के '7 तीर' के रूप में जाने जाते हैं। ये पहलू हैं: समुद्री सुरक्षा, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण और संसाधनों का वितरण, आपदा जोखिम में कमी और प्रबंधन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग और कारोबारी कनेक्टिविटी तथा समुद्री परिवहन। डॉ. गिरि का कहना है कि पीएम मोदी के ये सूत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि ये पहलू क्षेत्र में सहयोग, स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं।

हिंद प्रशांत क्षेत्र पर चीन की नजर

भारत-जापान समेत चीन के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र में लगभग हर देश के साथ कुछ न कुछ विवाद बना हुआ है। वास्तव में, चीन के मंसूबे नापाक हैं, और वह दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसके अलावा, चीन इस क्षेत्र में कारोबार और निवेश के मामले में भारत को अपना प्रतिद्वंद्वी मानता है। डॉ. टेम्जेनमरेन एओ के अनुसार, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) का मुख्य उद्देश्य समुद्री सुरक्षा के साथ-साथ समुद्र में मुक्त कारोबारी क्षेत्र का विकास करना हैं।

इसी वजह से पीएम मोदी समंदर को भयमुक्त बनाना चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि समुद्री सुरक्षा होने पर हिंद-प्रशांत देशों के बीच समुद्री कारोबार में वृद्धि होगी। दरअसल, इस इलाके में क्षेत्रीय शक्तियों के बीच सैन्य बजट में बढ़ोतरी शांति, सुरक्षा और समृद्धि के व्यापक मकसद को कमजोर करती हैं।

 

 

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