Explained: क्या था जामा मस्जिद सर्वे विवाद, और क्यों भड़की संभल में हिंसा? 10 पॉइंट्स में जानिए पूरा मामला

Explained: क्या था जामा मस्जिद सर्वे विवाद, और क्यों भड़की संभल में हिंसा? 10 पॉइंट्स में जानिए पूरा मामला
Last Updated: 2 घंटा पहले

संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी, जब भीड़ ने सर्वे टीम पर हमला कर पत्थरबाजी की। इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिरकार इस हिंसा का कारण और विवाद क्या है।

Jama Masjid Survey Controversy: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी। जब सर्वे टीम सर्वे के लिए मस्जिद पहुंची, तो वहां मौजूद भीड़ ने विरोध करना शुरू कर दिया और फिर स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पत्थरबाजी तक शुरू हो गई। पुलिस ने मौके पर भारी संख्या में बल तैनात किया और वरिष्ठ अधिकारी भी शांति बनाए रखने के लिए सक्रिय हुए, लेकिन हालात नियंत्रण से बाहर हो गए।

अदालत के आदेश पर हुआ मस्जिद का सर्वे

संभल की सिविल कोर्ट ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि मस्जिद का निर्माण किसी प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर किया गया है। अदालत के आदेश पर, ‘एडवोकेट कमीशन’ का गठन किया गया था, जिसके माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी से सर्वे कराया जाना था। इस सर्वे का उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि क्या मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को ध्वस्त करके किया गया था।

हरिहर मंदिर और बाबर का ऐतिहासिक संदर्भ

विष्णु शंकर जैन, याचिकाकर्ता, ने कहा कि जामा मस्जिद का स्थान पहले 'हरिहर मंदिर' के नाम से जाना जाता था, जिसे मुग़ल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त किया था। उनका आरोप है कि बाबर ने मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनाई थी, और यह स्थान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित क्षेत्र में आता है, जहां किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं हो सकता।

सपा सांसद का विरोध

संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद, जिया उर रहमान बर्क ने इस विवाद पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मस्जिद ऐतिहासिक है और 1991 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति को 1947 के बाद नहीं बदला जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग जानबूझकर विवाद उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे हैं और शांति भंग करना चाहते हैं।

सुरक्षा बढ़ाई गई, पुलिस का कड़ा कदम

संभल में शुक्रवार को जुमे की नमाज के मद्देनजर जामा मस्जिद की सुरक्षा को कड़ा कर दिया गया। पुलिस ने इलाके में पैदल मार्च किया और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए चेतावनी दी। वहीं, पुलिस ने 34 लोगों को पाबंद किया, जिसमें सांसद के पिता भी शामिल थे। यह कदम शांति भंग होने की संभावना को देखते हुए उठाया गया था।

हिंसा के बाद पुलिस की कड़ी कार्रवाई

जब सर्वे टीम पर पत्थरबाजी की गई, तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और स्थिति पर नियंत्रण पाने की कोशिश की। हालांकि, भीड़ लगातार हिंसा करती रही और उपद्रवियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। डीएम और पुलिस अधिकारियों ने कई बार शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही थी।

भाजपा का बयान

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने हिंसा की निंदा की और कहा कि जो लोग कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करेंगे, उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह मुग़लिया सल्तनत का दौर नहीं है और यदि किसी को कोर्ट के आदेश से आपत्ति है, तो वह उच्च अदालत में अपील कर सकता है।

समाज में बढ़ता विवाद

यह मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है और अब पूरे प्रदेश में इसका असर पड़ने की आशंका है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जामा मस्जिद के स्थान पर पहले एक मंदिर था, जिसे बाबर ने ध्वस्त किया था। इसके बाद से मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ गया है, और यह राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टियों से एक संवेदनशील मामला बन गया है।

कानूनी प्रक्रिया और आगे की स्थिति

सर्वे के आदेश के बावजूद इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच विवाद जारी है। अदालत का फैसला आने के बाद इस मामले में राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर तनाव बढ़ सकता है। मामले की उच्च अदालत में सुनवाई होने के बाद ही इस पर आगे का निर्णय होगा।

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