नोएडा प्राधिकरण ने किसानों से किए गए वादे के अनुसार, उन्हें 5% विकसित भूखंड देने में नाकामी दिखाई है, जिसके बाद किसानों ने अपनी मांगें और बढ़ा दी हैं। अब किसानों की नई मांग 20% विकसित भूखंड की है। इस मुद्दे को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की तीन प्रमुख मांगें हैं, जिन्हें पूरा करना नोएडा प्राधिकरण के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा हैं।
नई दिल्ली: नोएडा प्राधिकरण ने किसानों से किए गए वादे के मुताबिक उन्हें 5% विकसित भूखंड देने में नाकामी दिखाई है, जिसके कारण अब किसानों ने अपनी मांग 20% विकसित भूखंड तक बढ़ा दी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं, जिन्हें पूरा करना नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा हैं।
किसानों ने नोएडा प्राधिकरण के समक्ष रखी तीन मांग
किसानों की तीन प्रमुख मांगें 1997 से अब तक अधिगृहीत जमीन के एवज में हैं, जिनमें पहला, सभी किसानों को दस प्रतिशत का अतिरिक्त विकसित भूखंड देने की मांग है। दूसरा, 64.7 का अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए, जो कि भूमि अधिग्रहण के बदले किसानों को सही और पूर्ण मुआवजा मिले। तीसरा, नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत चार गुना मुआवजा राशि की मांग है, ताकि किसानों को उनके भूमि के वास्तविक मूल्य का उचित भुगतान हो सके। इसके साथ ही, किसानों ने हाईपावर कमेटी द्वारा उनके पक्ष में जो निर्णय लिया गया है, उसे तत्काल प्रभाव से लागू करने की भी मांग की हैं।
बताया गया है कि नोएडा प्राधिकरण ने अब तक वर्ष 1997 से लेकर अब तक 16500 किसानों को पांच प्रतिशत का विकसित भूखंड देने का दावा किया है। हालांकि, 6070 किसानों को यह पांच प्रतिशत का भूखंड आज तक नहीं मिला है, जिसके कारण किसानों के बीच असंतोष और गुस्सा बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति नोएडा प्राधिकरण के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, क्योंकि इन मांगों को पूरा करना उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा हैं।
प्राधिकरण ने लगाई भूखंड पर रोक
नोएडा प्राधिकरण ने किसानों को पांच प्रतिशत विकसित भूखंड देने में अतिक्रमण का हवाला देते हुए यह प्रक्रिया रोक दी है। हालांकि, हाईपावर कमेटी ने शासन को अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि अतिक्रमण को हटाकर नोएडा प्राधिकरण को दो महीने के भीतर किसानों को पांच प्रतिशत का विकसित भूखंड देना चाहिए। इस रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि जिन क्षेत्रों में अतिक्रमण किया गया है, वहां से अतिक्रमण हटाकर भूमि का पुनर्विकास किया जाए।
इस बीच, 57 किसानों को दीपावली से ठीक पहले नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम द्वारा इंदिरा गांधी कला केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में पांच प्रतिशत विकसित भूखंड का आवंटन पत्र दिया गया था। हालांकि, बाकी किसानों को भूखंड देने के लिए जमीन की तलाश अभी तक पूरी नहीं हो पाई है, जिससे किसानों के बीच असंतोष और नाराजगी बनी हुई हैं।
क्या है मामला?
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किए गए नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत भूमि अधिग्रहण की मांग ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस कानून के अनुसार, यदि प्राधिकरणों को भूमि अधिग्रहण करना होता है, तो उन्हें किसानों को चार गुना मुआवजा देना होगा, साथ ही 20 प्रतिशत का विकसित भूखंड भी प्रदान करना होगा। यह स्थिति प्राधिकरणों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि इसे पूरा करने के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन और भूमि नहीं हैं।
इसके अलावा, भारतीय किसान परिषद के नेतृत्व में 2019 से चली आ रही मांग के तहत सभी किसानों को दस प्रतिशत अतिरिक्त भूखंड उपलब्ध कराने की बात की जा रही है, जिसे नोएडा प्राधिकरण ने 2015 की बोर्ड बैठक में स्वीकृति दी थी। पहले चरण में, जिन किसानों के पास भूखंड नहीं थे, उन्हें उसकी कीमत (22000 रुपये प्रति वर्ग मीटर) के बराबर राशि दी गई थी। पिछले सप्ताह, 13 किसानों को पांच प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा राशि के रूप में 1.29 करोड़ रुपये का चेक सौंपा गया था।
हालांकि, नोएडा में 23 हजार से अधिक किसानों को पहले दस प्रतिशत अतिरिक्त भूखंड देने की स्थिति में प्राधिकरण को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे यह स्पष्ट है कि 20 प्रतिशत विकसित भूखंड और चार गुना मुआवजा जैसी मांगों को पूरा करना उनके लिए एक गंभीर चुनौती होगी।