हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक पार्टियों जोर- शोर से अपनी तैयारी करना शुरू कर दी है। इस बार के विधानसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी और इनेलो ने गठबंधन करके चुनाव लड़ने का फैसला लिया हैं।
चंडीगढ़: हरियाणा में बहुजन समाज पार्टी को गठबंधन की राजनीति ज्यादा रंग नहीं जमा पाती है। साल 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान इनेलो के साथ हुए गठबंधन को छोड़कर अन्य राज्य में चुनाव के लिए जितने भी बार गठबंधन हुए, वह कभी सिरे नहीं चढ़ पाए है। बहुजन समज पार्टी सुप्रीमो मायावती का हाथी ऐसे समय पर बिदकता ही हैं, जिसका फायदा न तो बसपा को और न ही उसके साथ गठबंधन करने वाले राजनीतिक दल को मिल पाता हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योकि कि बसपा सुप्रीमो ने हरियाणा को राजनीतिक प्राथमिकता न देकर मायावती गठबंधन करती हैं रही और जल्द ही भूलती जाती हैं।
पांचवी बार गठबंधन करने जा रही बसपा
बहुजन समाज पार्टी पांचवीं बार गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरने वाली है। बता दें प्रदेश में अक्टूबर महीने के शुरुआत या अंत तक विधानसभा चुनाव होंगे। इस बार बसपा और इनेलो के बीच गठबंधन होगा, जिसकी घोषणा 11 जुलाई 2024 को चंडीगढ़ में होगी, दोनों दलों के नेता संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के माध्यम से गठबंधन की घोषण करेंगे।
इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने शनिवार (६ जुलाई) को नई दिल्ली में बसपा अध्यक्ष मायावती के साथ मुलाकात कर उन्हें हरियाणा में होने वाले विधानसभा में गठजो़ड़ करने के लिए राजी कर लिया है। इससे पहले साल 2018 में इनेलो और बसपा के बीच गठबंधन हुआ था। तब इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला ने बसपा अध्यक्ष मायावती की कलाई पर राखी बांधकर गठबंधन की मजबूती का नमूना पेश किया, लेकिन कुछ समय बाद उनका गठबंधन टूट गया और अब करीब छह साल बाद दोनों पार्टियों के बीच राजनीतिक रिश्ते परवान चढ़ते हुए नजर आ रहे हैं।
इससे पहले बसपा का इन दलों के साथ हुआ गठबंधन
Subkuz.com की जानकारी के मुताबिक हरियाणा में साल 1998 में बसपा और इनेलो के बीच गठबंधन हुआ था, तब अंबाला लोकसभा सीट से बोजन समाज पार्टी का उम्मीदवा अमन कुमार नागरा चुनाव ने चुनाव जीता। उसके बाद विधानसभा चुनाव में बसपा के इक्का-दुक्का उम्मीदवार ही चुनाव में जीत हासिल कर पाते हैं।
बता दें इसके बाद प्रदेश में जीते हुए उम्मीदवारों ने कभी बसपा के हाथी को राज्य पोषित नहीं होने दिया। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा व हजकां (कुलदीप बिश्नोई) के बीच गठबंधन बना था, मगर तब बसपा नेताओं के फोन नहीं उठाने वाले कुलदीप बिश्नोई को गठबंधन की टूट के रूप में इसका दुष्परिणाम सहना पड़ा था। अब देखने यह हैं कि बसपा व इनेलो का यह गठबंधन राज्य में किस तरह रन बिखेरता हैं।