विदेश मंत्री एस. जयशंकर अक्टूबर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की यात्रा करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह स्पष्ट किया है कि विदेश मंत्री का यह दौरा केवल एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए होगा।
नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर नौ साल में पहली बार पाकिस्तान की यात्रा करेंगे। वह 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जयशंकर का यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है, हालांकि विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इसे शांति पहल के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह निर्णय भारत की एससीओ के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, क्योंकि एससीओ क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संगठन है। भारत इस संगठन को गंभीरता से लेता है और इसकी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने का इरादा रखता हैं।
क्या है शंघाई सहयोग संगठन समिट?
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। यह संगठन क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए कार्यरत है। भारत ने 2022 में एससीओ की अध्यक्षता की थी और इस दौरान उसने एक डिजिटल शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की थी।
भारत 2005 से एससीओ का सदस्य रहा है और 2017 में इसे पूर्ण सदस्यता मिली। उसी वर्ष पाकिस्तान भी भारत के साथ एससीओ का स्थायी सदस्य बना। एससीओ का उद्देश्य क्षेत्र में सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक विनिमय को बढ़ावा देना है, जिससे सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूती मिले।
भारत और पाक के बीच तनावपूर्ण रिश्ते
भारत और पाकिस्तान के रिश्ते फ़रवरी 2019 से तनावपूर्ण रहे हैं। भारत ने हमेशा कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए इच्छुक है, लेकिन इसके लिए पाकिस्तान को आतंकवाद और हिंसा पर नियंत्रण पाना होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर की यात्रा का उद्देश्य केवल एससीओ की बैठक में भाग लेना है और इसे अधिक न पढ़ा जाए। यह यात्रा इस बात का संकेत भी है कि भारत यूरेशियन ब्लॉक को कितना महत्व देता हैं।
भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने कहा कि अब गेंद पूरी तरह से पाकिस्तान के पाले में है। उन्होंने यह भी कहा कि जयशंकर को भेजकर भारत ने एक साहसिक कदम उठाया है, जो इस परेशान रिश्ते को स्थिर करने की अपनी इच्छा का संकेत देता है। पाकिस्तान को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और एससीओ के मौके पर एक सार्थक द्विपक्षीय बातचीत का प्रस्ताव रखना चाहिए।