Jharkhand Politics: चंपाई सोरेन की बगावत: नई पार्टी का ऐलान, हेमंत सोरेन से दूरी की असली वजह क्या?

Jharkhand Politics: चंपाई सोरेन की बगावत: नई पार्टी का ऐलान, हेमंत सोरेन से दूरी की असली वजह क्या?
Last Updated: 21 अगस्त 2024

हेमंत से नाराजगी, भाजपा में जाने की अटकलें खत्म, आने वाले चुनावों पर क्या पड़ेगा असर?

रांची, 21 अगस्त 2024: - झारखंड की राजनीति में बड़ा भूचाल आया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कद्दावर नेता चंपाई सोरेन ने हेमंत सोरेन से बगावत कर नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। उनकी इस घोषणा ने राज्य की राजनीतिक फिजाओं में हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठ रहा है कि आखिरकार चंपाई सोरेन का हेमंत सोरेन से इतना गुस्सा क्यों था, और उनकी नई पार्टी राज्य की राजनीति को कैसे प्रभावित करेगी?

चंपाई सोरेन का हेमंत सोरेन से गुस्सा: क्या हैं असली कारण?

चंपाई सोरेन, जो हेमंत सोरेन के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक माने जाते थे, लंबे समय से JMM के भीतर अपनी उपेक्षा से नाराज थे। पार्टी के निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में खुद को दरकिनार किए जाने और अपने समर्थकों की अनदेखी से वे आहत थे। चंपाई ने बार-बार यह आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन पार्टी के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, जिससे पार्टी का जनाधार कमजोर हो रहा हैं।

नई पार्टी का नाम: क्या होगा नया राजनीतिक मंच?

चंपाई सोरेन ने अपनी नई पार्टी का नाम 'झारखंड आदिवासी कांग्रेस' रखा है। उनका दावा है कि यह पार्टी झारखंड के आदिवासियों, पिछड़ों और वंचित वर्गों की सच्ची आवाज बनेगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होगी।

भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर विराम; चंपाई सोरेन ने साफ की स्थिति

चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर भी अब विराम लग गया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उनका भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है और उनकी लड़ाई झारखंड के असली मुद्दों के लिए है। उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा आदिवासियों और झारखंड के हक के लिए संघर्ष किया है और आगे भी करता रहूंगा। भाजपा में जाने की बातें महज अफवाह हैं।

आने वाले चुनावों पर क्या होगा असर?

चंपाई सोरेन की नई पार्टी का झारखंड की राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। चंपाई सोरेन का प्रभाव खासकर सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम, और पूर्वी सिंहभूम जिलों में काफी मजबूत है। ये इलाके आदिवासी बहुल हैं और यहां उनकी पकड़ काफी मानी जाती है। यदि चंपाई सोरेन की नई पार्टी को इन क्षेत्रों में समर्थन मिलता है, तो यह हेमंत सोरेन और JMM के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में चंपाई सोरेन की पार्टी आदिवासी वोटों को बांट सकती है, जिससे JMM की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि, चंपाई सोरेन का कहना है कि उनकी पार्टी किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनी हैं।

चंपाई सोरेन का राजनीतिक सफर: कौन हैं चंपाई और कितनी सीटों पर है उनका प्रभाव?

चंपाई सोरेन झारखंड के एक अनुभवी और वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत JMM के बैनर तले की और वर्षों तक पार्टी के एक मजबूत स्तंभ बने रहे। चंपाई का प्रभाव झारखंड के दक्षिणी हिस्सों में खास तौर पर है, जहां आदिवासी वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है। वे कई बार विधायक रह चुके हैं और राज्य की राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत हैं।

क्या हेमंत सोरेन की राजनीतिक ताकत को लगेगा धक्का?

चंपाई सोरेन की बगावत और नई पार्टी के गठन से हेमंत सोरेन की राजनीतिक ताकत को बड़ा झटका लग सकता है। हालांकि, हेमंत सोरेन के समर्थकों का कहना है कि चंपाई सोरेन का फैसला व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है और इससे पार्टी पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। लेकिन आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि चंपाई सोरेन की इस नई पहल का झारखंड की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता हैं।

झारखंड की राजनीति अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहां आदिवासी मुद्दों के साथ-साथ राजनीतिक समीकरणों में भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। चंपाई सोरेन की नई पार्टी 'झारखंड आदिवासी कांग्रेस' राज्य की राजनीति में कितनी बड़ी भूमिका निभाएगी, यह आने वाले चुनावों में साफ हो जाएगा।

 

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