Karnataka हाईकोर्ट ने पार्वती सिद्धारमैया को दी राहत, ED समन किया रद्द, जानिए पूरा मामला 

Karnataka हाईकोर्ट ने पार्वती सिद्धारमैया को दी राहत, ED समन किया रद्द, जानिए पूरा मामला 
अंतिम अपडेट: 2 दिन पहले

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती और मंत्री भैरती सुरेश को राहत दी, ED का समन रद्द किया। 700 करोड़ के भूमि घोटाले में जांच जारी, राजनीतिक बयानबाजी तेज।

Karnataka: कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती और राज्य सरकार में मंत्री भैरती सुरेश को बड़ी राहत दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा भेजे गए समन को कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इस फैसले को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है।

ED के समन पर हाईकोर्ट की रोक

हाईकोर्ट ने पहले इस समन पर अंतरिम रोक लगाई थी, लेकिन अब इसे पूरी तरह खारिज कर दिया गया है। यह समन मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) से जुड़े भूमि आवंटन घोटाले से संबंधित था, जिसमें ED ने पार्वती सिद्धारमैया और भैरती सुरेश को पूछताछ के लिए बुलाया था।

MUDA भूमि घोटाले में ED की जांच

अक्टूबर 2024 में प्रवर्तन निदेशालय ने इस 700 करोड़ रुपये के कथित भूमि घोटाले की जांच शुरू की थी। इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती और उनके भाई बीएम मल्लिकार्जुनस्वामी का नाम भी शामिल किया गया था। जांच एजेंसी ने सिद्धारमैया से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी।

ED ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए भूमि के डिनोटिफिकेशन में नियमों को दरकिनार किया गया था। बिना विशेषज्ञ राय और उचित प्रक्रिया के कई फैसले लिए गए थे, जिससे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग हुई।

हाईकोर्ट ने ED की कार्रवाई को बताया अवैध

हाईकोर्ट की जस्टिस हेमंत चंदनगौडर की बेंच ने ED की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे अवैध करार दिया। इससे पहले, जनवरी में कोर्ट ने पूर्व MUDA आयुक्त डीबी नटेश को भेजे गए समन को भी रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ED द्वारा 28 और 29 अक्टूबर को लिए गए बयान नियमों के खिलाफ थे।

राजनीतिक बयानबाजी तेज

इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने ED की कार्रवाई को राजनीतिक साजिश करार दिया और कहा कि जब लोकायुक्त पहले से ही जांच कर रहा है, तो ED की जांच का कोई औचित्य नहीं है।

वहीं, विपक्ष के नेता आर अशोक ने इसे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे, तब भी CBI, ED और लोकायुक्त द्वारा नोटिस भेजे गए थे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार को अगर कुछ छिपाने की जरूरत नहीं है, तो जांच से डरने की भी जरूरत नहीं है।

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