Sambhal Violence: संभल हिंसा पर गरमाई राजनीति, अखिलेश यादव का केंद्र सरकार पर हमला, कोर्ट से की जांच की मांग

Sambhal Violence: संभल हिंसा पर गरमाई राजनीति, अखिलेश यादव का केंद्र सरकार पर हमला, कोर्ट से की जांच की मांग
Last Updated: 25 नवंबर 2024

संभल हिंसा पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की। मायावती और कांग्रेस ने भी आलोचना की, जबकि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सपा पर न्यायपालिका अविश्वास का आरोप लगाया।

Sambhal Violence: संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हुई हिंसा और आगजनी के बाद से उत्तर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। इस घटना के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने जानबूझकर इस हिंसा को भड़काया, ताकि उपचुनाव में लोगों का ध्यान भटकाया जा सके।

अखिलेश यादव का आरोप 

अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि जब मस्जिद का सर्वेक्षण पहले ही किया जा चुका था तो फिर दोबारा सर्वेक्षण करने की क्या जरूरत थी? उनका आरोप है कि सरकार ने और पुलिस प्रशासन ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर लापरवाही दिखाई, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा भड़की। उन्होंने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले का संज्ञान लेने की अपील की है। साथ ही, उन्होंने कहा कि जो लोग मौके पर सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के उद्देश्य से नारेबाजी कर रहे थे, उनके खिलाफ शांति और सौहार्द बिगाड़ने का मुकदमा दर्ज किया जाए। अखिलेश यादव ने यह भी सुझाव दिया कि बार एसोसिएशन को इस मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।

बसपा और कांग्रेस का भी सरकार पर हमला

बसपा प्रमुख मायावती ने इस हिंसा के लिए पूरी तरह से शासन-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि इस सर्वेक्षण को शांतिपूर्ण तरीके से दोनों पक्षों के साथ मिलकर करना चाहिए था, लेकिन सरकार ने इसे अंजाम देने के लिए उपयुक्त तरीके नहीं अपनाए। मायावती ने संभल के नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील भी की। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी जानबूझकर नफरत फैलाने वाली राजनीति कर रही है। 

उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के लिए टीम भेजने का उद्देश्य था, ताकि लोगों के बीच गुस्सा और नफरत फैल सके। राय ने यह भी कहा कि प्रदेश में हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और जब मुख्यमंत्री खुद “बटेंगे तो कटेंगे” जैसे बयान दे रहे हैं, तो शांति की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उन्होंने पुलिस के रवैये पर सवाल उठाया और इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।

ब्रजेश पाठक का पलटवार 

इस घटना पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सपा पर पलटवार करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी को न तो निर्वाचन आयोग पर भरोसा है और न ही वह संविधानिक संस्थाओं पर विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद का सर्वेक्षण अदालत के आदेश पर किया गया था और इस पर विरोध जताना गलत है। उनका कहना था कि इस तरह के मुद्दे पर राजनीतिक खेल नहीं खेला जाना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायालय के आदेश का पालन न करना अपराध है। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने भी इस घटनाक्रम की निंदा करते हुए कहा कि सबको कानून व्यवस्था का पालन करना चाहिए, और इस तरह की हिंसा को सहन नहीं किया जा सकता।

संभल हिंसा और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया

संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा और पत्थरबाजी की घटना ने पूरे राज्य में राजनीतिक तनाव पैदा कर दिया है। घटना के बाद से विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रहा है। सरकार का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए बेहतर तरीके से रणनीति बनाई जानी चाहिए थी, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि जानबूझकर हिंसा को बढ़ावा दिया गया, जिससे शांति व्यवस्था बिगड़ी। पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, खासकर इस बात को लेकर कि क्या पर्याप्त कदम उठाए गए थे ताकि इस तरह की हिंसा से बचा जा सके।

समाज में तनाव और शांति की अपील

सपा, बसपा और कांग्रेस नेताओं ने संभल की घटना पर राज्य सरकार की लापरवाही का आरोप लगाते हुए शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। इन पार्टियों ने कहा कि जब राज्य में इस प्रकार की हिंसक घटनाएं होती हैं, तो यह लोकतंत्र और समाज के लिए एक खतरे की घंटी है। नेताओं ने भी मांग की है कि ऐसी घटनाओं की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।

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