भारत इस साल चीन की हर चल को नाकाम करने के लिए लद्दाख में न्योमा एयरबेस में 2.7 किमी लंबी हवाई पट्टी तैयार करने जा रहा है। बता दें कि BRO ने बीते 3 वर्षों में 8,737 करोड़ रुपए की लागत से 330 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया है।
Nyoma Runway News: भारत के साथ लगती चीन सीमा लद्दाख में भारत इस साल के लास्ट तक न्योमा एयरबेस में 2.7 किमी. लंबी हवाई पट्टी तैयार करने जा रहा है। बताया जा रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध के बीच भारत इस परियोजना पर काम तेजी से कर रहा है और अक्टूबर माह तक ये काम पूरा भी हो जाएगा। चीन की हर चालों का भारत उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार है।
न्योमा एयरबेस का उद्धघाटन
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल सितंबर 2023 में 218 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना की आधारशिला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रखी थी और इसका नेतृत्व बीआरओ (Border Roads Organisation) महिला अधिकारियों का एक दल करता है। उस समय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि न्योमा एयरबेस सशस्त्र बलों के लिए "गेम-चेंजर" साबित होगा।
बीआरओ अधिकारी ने बताया
subkuz.com को हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में मिली जानकारी के मुताबिक, बीआरओ (Border Roads Organisation) के प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने कहा है कि चीन के साथ विवादित बॉर्डर के पास बुनियादी ढांचे को मज़बूत करते हुए इसी साल (2024) अक्टूबर तक न्योमा एयरबेस की इस परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा। यह न्योमा एयरबेस लद्दाख से करीब 30 KM की दुरी पर न्योमा एयरफील्ड में बनकर तैयार होगा।
जाने क्या है एयरबेस की विशेषता
सितंबर 2023 में BRO प्रमुख अधिकारी श्रीनिवासन ने कहा कि, भारत चीन से 50 KM की दुरी पर दुनिया का सबसे ऊंचा एयरबेस बनाने जा रहा है। इस परियोजना पर बुनियादी ढांचा, हैंगर सहित हवाई यातायात नियंत्रण भवन और हार्ड लैंडिंग (वाहनों और विमानों की पार्किंग के लिए कठोर सतह वाले क्षेत्र) जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने बताया, "यह लद्दाख सेक्टर में BRO (Border Roads Organisation) द्वारा क्रियान्वित की जा रही सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है." साथ ही LAC से 23 किमी. दूर चल रहे इस 13,700 फीट ऊंचे प्रोजेक्ट का नेतृत्व कॉम्बैट इंजीनियर कर्नल पोनुंग डोमिंग नमक महिला कर रही हैं।
भारत चीन की हर चाल का देगा जवाब
इस एयरफील्ड को LAC की वर्तमान स्थिति को देखते हुए काफी अहम माना जा रहा है। बताया गया कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद 10 वर्षों तक न्योमा हवाई पट्टी का उपयोग नहीं किया गया था, इस परियोजना से पहले सितंबर 2009 में भारतीय वायुसेना ने इसे फिर से सक्रिय किया और पहली बार वहां एक एएन-32 परिवहन विमान की लैंडिंग की। भारतीय वायुसेना ने चीन के साथ चल रहे LAC विवाद सहित सेना की आगे की तैनाती के समर्थन में अपने AN-32, C-130J विशेष अभियान विमान और हेलीकॉप्टरों को न्योमा से संचालित किया है। इससे चीन पर पूरी तरह से नजर रखी जाएगी। जिन की किसी भी हिमाकत पर भारत अब मुँह तोड़ जवाब देगा।
आगे मिडिया को बताया गया कि न्योमा लेह की तुलना में बेहतर और समतल घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब है, और इस प्रकार यह भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू और परिवहन संचालन दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण एयरबेस साबित होगा।